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ED प्रमुख संजय मिश्रा बन सकते है नए CIO 

खबरों के अनुसार भारत सरकार केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय की देख-रेख के लिए एक नया पद "मुख्य जांच अधिकारी" (CIO) का गठन करने जा रही है । सूत्रों के अनुसार सेवानिवृत्त होने वाले ED चीफ संजय मिश्रा को नया CIO बनाया जा सकता है । 

भारत सरकार रक्षा स्तर के प्रमुख CDS ( Chief of Defense Staff ) और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ( NSA ) के पद की तरह केंद्रीय जांच ब्यूरो (Central Bureau of Investigation, CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate, ED) के लिए भारतीय मुख्य जांच अधिकारी (Chief Investigation Officer of India, CIO) के नए पद का गठन करने जा रही है । सर्वोच्च स्तर पर चर्चाओं के अनुसार, केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय के मुखिया CIO को रिपोर्ट करेंगे, ठीक वैसे ही जैसे कि तीनों सेनाओ के प्रमुख CDS को और दोनों खुफिया एजेंसियों के प्रमुख NSA को रिपोर्ट करते है । नए मुख्य जांच अधिकारी (CIO) सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को रिपोर्ट करेंगे ।

अंग्रेजी वेबसाईट “द वायर” में छपी खबर के अनुसार सरकार को लगता है कि ED और CBI की जांच के क्षेत्र में बहुत सारा ओवरलैप होता है। ED मुख्य रूप से वित्तीय धोखाधड़ी, धन संबंधी धोखाधड़ी (money laundering) और FEMA उल्लंघन से संबंधित मामलों को देखती है तो वही CBI भ्रष्टाचार और अन्य आर्थिक अपराधों के मामलों की जांच करती है। सूत्रों के मुताबिक एक CIO की अगुवाई से दोनों एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल सुनिश्चित करने में आसानी होगी ।

सुरक्षा की दृष्टि से इस फैसले को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्यूंकी ED और CBI दोनों जांच एजेंसियां भारत में कुछ सबसे शक्तिशाली जांच एजेंसियां हैं । यह भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग, आर्थिक अपराधों और अन्य गंभीर अपराधों से संबंधित मामलों की जांच करते हैं। उनके कामकाज में किसी भी तरह की अस्पष्टता या अनिश्चितता से देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है।

संजय मिश्रा 15 सितंबर को हो रहे है रिटायर्ड

पहले संभवतः CIO के रूप में ED चीफ संजय मिश्रा कार्यभार संभाल सकते है । हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने “व्यापक सार्वजनिक और राष्ट्रीय हित” में संजय मिश्रा को 15 सितंबर तक ईडी प्रमुख के पद पर बने रहने की अनुमति दी थी साथ ही उन्हें तीसरा पद विस्तार देने की केंद्र की याचिका को खारिज कर दिया था। मिश्रा 2018 से ईडी प्रमुख के पद पर है ।

इस साल मई में, सुप्रीम कोर्ट ने मिश्रा को बार-बार सेवा विस्तार देने को लेकर केंद्र सरकार की खिंचाई भी की थी । सुप्रीम कोर्ट ने आश्चर्य जताते हुए कहा था कि कोई एक व्यक्ति इतना आवश्यक कैसे हो सकता है की उन्हे बार बार सेवा विस्तार दिया जाए । सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा था की क्या प्रवर्तन निदेशालय में कोई दूसरा व्यक्ति नहीं है जो मिश्रा का कार्यभार ले सके ?

विपक्ष लगाता रहा है ED, CBI पर राजनीतिकरण का आरोप

संजय मिश्रा के कार्यकाल में ED द्वारा विपक्षी राजनेताओं के खिलाफ कार्यवाही में वृद्धि देखी गई है, जिसको सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से प्रशंसा और विपक्ष से आलोचना दोनों मिली है।

पिछले साल जुलाई में शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने राज्यसभा में पूछा था कि क्या 2014 से ED की छापेमारी लगभग 90 प्रतिशत बढ़ गई है ? इस सवाल का लिखित जवाब देते हुए वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा को बताया था कि पीएमएलए (PMLA) के तहत पुराने मामलों में लंबित जांच को निपटाने और नए मामलों में समयबद्ध तरीके से जांच पूरी करने के लिए छापेमारी की संख्या में बढ़ोतरी हुई है । उन्होंने राज्यसभा को बताया था की 2004 और 2014 के बीच ED ने 112 छापेमारी की थी जबकि 2014-2022 के दौरान प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की गई छापेमारी में 2004 और 2014 के मुकाबले लगभग 27 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी और यह 3,010 हो गई थी।

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