नैनीताल में है एशिया का पहला मैथोडिस्ट चर्च, पढ़िए पूरी खबर

नैनीताल। सरोवर नगरी नैनीताल में वैसे तो बहुत से अंग्रेजो के जमाने के भवन और इमारते है लेकिन उनमें से कुछ ऐसी इमारते है जिनके बारे में जानकर आपको हैरानी होगी। जी हाँ हम बात कर रहे है नैनीताल में स्थित मैथोडिस्ट चर्च की जिसे भारत ही नहीं अपितु एशिया के सबसे पहले मैथोडिस्ट चर्च का गौरव प्राप्त है। एशिया के सबसे पहले मैथोडिस्ट चर्च होने के कारण नैनीताल के मैथोडिस्ट चर्च अपनी ओर सबका ध्यान केंद्रित करता है।

मैथोडिस्ट चर्च (नैनीताल) की नींव वर्ष 1858 में विलियम बटलर ने डाली थी। विलियम बटलर 10 मई, 1857 को मैथोडिस्ट धर्म के प्रचार-प्रसार के दौरान नैनीताल आए थे जिसके बाद उन्होंने रिक्शा स्टैंड मल्लीताल के पास मैथोडिस्ट चर्च का निर्माण करवाया। उन्होंने इस चर्च को ग्रामीण परिवेश के अनुरूप बनाया है जिसकी वजह से इसे काउंटी चर्च भी कहा जाता है।

मैथोडिस्ट चर्च (नैनीताल)
मैथोडिस्ट चर्च (नैनीताल)

मल्लीताल मॉल रोड के किनारे स्थित मैथोडिस्ट चर्च में आज भी क्रिसमस के कार्यक्रम धूम-धाम से मनाये जाते है इसके अलावा नव वर्ष के पर भी यहाँ बहुत से प्रोग्राम होते है। ईसाई पर्वों के दौरान मैथोडिस्ट चर्च को खूब सजाया जाता है जो नैनीताल के पर्यटकों का ध्यान केंद्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। नैनीताल के स्थानीय लोग और पर्यटक भारी मात्रा में मैथोडिस्ट चर्च पर जाते है और प्रभु यीशू से प्रार्थना करते है।

मैथोडिस्ट चर्च, क्रिसमस (नैनीताल)
मैथोडिस्ट चर्च, क्रिसमस (नैनीताल)

मैथोडिस्ट चर्च (नैनीताल) पर क्रिसमस की पहली शाम को केक काटा जाता है। क्रिसमस संडे के रूप में बनाया जाने वाले नवम्बर के पहले रविवार से क्रिसमस कार्यक्रम शुरू हो जाते है। इन कार्यक्रमों में प्रार्थना और आराधना की जाती है जिसके बाद 25 दिसंबर को चर्च में केक काटा जाता है। 25 दिसंबर को मैथोडिस्ट चर्च (नैनीताल) में क्रिसमस बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है।

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