ग्रेड पे को पर शासनादेश जारी होने के बाद सिपाहियों ने धनराशि को बताया नाकाफी

देहरादून: ग्रेड पे को लेकर शासनादेश जारी होते ही पुलिस के सिपाहियों के पत्र वायरल होने लगे हैं। सिपाही इस धनराशि को अपने लिए नाकाफी मान रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने मुख्यमंत्री धामी पर विश्वास किया था। लगा था कि युवा मुख्यमंत्री है, सैनिक पुत्र हैं और घोषणा भी पुलिस के मंच से ही हो रही है।

उस वक्त लगा कि उनकी मांगे पूरी हो जाएंगी, लेकिन अब उन्हें सरकार की ओर से यह झुनझुना ही पकड़ाया गया है। सिपाहियों के इस्तीफे के पत्र जो वायरल हो रहे हैं उनमें उन्होंने खुद को पेंशन का हकदार भी बताया है। लिहाजा, उन्होंने इन इस्तीफों को स्वीकार करने की मांग की है।

एक पत्र में तो सरकार और शासन के अधिकारियों को निशाना बनाया गया है। सिपाही की ओर से वायरल हुए इस पत्र में लिखा गया है कि इस धनराशि से उसके परिवार का कुछ नहीं होने वाला है। इस धनराशि को वह सरकार को दान स्वरूप दे रहा है। शायद इससे कुछ भला शासन में बैठे अधिकारियों का हो जाए।

सिपाही ने पुलिस मुख्यालय में बैठे अधिकारियों को भी धनराशि दान देने की बात लिखी है। यह पत्र उसने उत्तराखंड सरकार और पुलिस मुख्यालय दोनों को संबोधित करते हुए लिखा है।

उत्तराखंड में लंबे समय से चल रही 4600 ग्रेड पे की मांग को लेकर पुलिसकर्मियों के परिजनों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। साथ ही सरकार पर पुलिसकर्मियों की अनदेखी करने का आरोप लगाया।

प्रदेशभर में पुलिसकर्मियों के परिजन 4600 ग्रेड पे की मांग करते आ रहे हैं। साथ ही जगह-जगह विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। शनिवार को रुड़की के गणेशपुर पुल के पास पुलिसकर्मियों के परिजनों ने ग्रेड पे की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर नारेबाजी की। उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग में 20 साल की सेवा देना के बाद 4600 ग्रेड पे दिया जाता है, लेकिन लंबे समय से उत्तराखंड में 20 साल की नौकरी पूरी कर चुके सिपाहियों को अब भी 2800 ग्रेड पे ही दिया जा रहा है जबकि सिपाही से ऊपर की सभी पोस्ट के लिए 4600 ग्रेड पे लागू हो चुका है।

अन्य राज्यों में सिपाहियों को 4600 ग्रेड पे मिल रहा है। उत्तराखंड में 20 साल से नौकरी कर रहे सिपाहियों को इसका लाभ नहीं दिया जा रहा है। कहा कि प्रदेश सरकार ने पुलिसकर्मियों को धोखा दिया है। उन्होंने चुनाव बहिष्कार और भाजपा का विरोध करने की भी चेतावनी दी। इस दौरान सरिता, ममता, रूबी, ममता, मन्नू, बीना, श्वेता, रचना, दुर्गेश, सीमा आदि मौजूद रहीं।

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