मणिपुर आदिवासी निकाय ने शिक्षाविदों के खिलाफ मामले वापस लेने के लिए प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की
इंफाल, 21 अगस्त (आईएएनएस)। मणिपुर में एक प्रमुख आदिवासी निकाय ने कुकी विद्वानों और शिक्षाविदों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने पर गहरी चिंता जताते हुए आदिवासी बुद्धिजीवियों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की मांग की है।
प्रधानमंत्री को भेजे एक ज्ञापन में कुकी इंपी मणिपुर (केआईएम) ने आरोप लगाया कि समुदाय के कई विद्वान, लेखक और नेता लगातार खतरे और उत्पीड़न की हालत में हैं।
ज्ञापन में कहा गया है, “अनुसंधान कार्यों, शैक्षणिक व्यस्तताओं और बोलने की आजादी के परिणामों का जवाब एफआईआर के साथ दिया जाता है। मणिपुर पुलिस ने हाल ही में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में दो कुकी सहायक प्रोफेसरों और एक सेवानिवृत्त कर्नल के खिलाफ उस पुस्तक के लिए मामला दर्ज किया है, जिसे उन्होंने 1917-19 के एंग्लो-कुकी युद्ध पर लिखा था।”
ज्ञापन में दावा किया गया है कि कुकी विद्वानों के खिलाफ कानूनी मुकदमा शुरू करना भारत में धूमिल होती शैक्षणिक स्वतंत्रता का स्पष्ट प्रतिबिंब है।
कहा गया है, “हमारे विद्वानों के खिलाफ आरोप राजनीति से प्रेरित हैं और कुकी इतिहास को मिटाने का प्रयास है। इसके अलावा, अन्य कुकी नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्र संगठनों और विद्वानों पर, जो विभिन्न प्लेटफार्मों पर कुकी के लिए लिखते और बोलते हैं, कुकी की किसी भी आवाज को दबाने के प्रयास में मामला दर्ज किया जा रहा है।“
“ऐसे मामले कुकियों को अधीन रखने की एक और चाल के समान हैं। जो चीजें पूरी तरह से अकादमिक हैं, उनका उसी दृष्टिकोण और स्वतंत्रता के साथ जवाब दिया जाना चाहिए, जो लोग लोकतांत्रिक समाज को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, उनकी रक्षा की जानी चाहिए।”
–आईएएनएस
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