बिहार : कभी लालू यादव तो कभी नीतीश कुमार के खास रहे हैं प्रभुनाथ

पटना, 18 अगस्त (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार के पूर्व सांसद और बाहुबली नेता प्रभुनाथ सिंह को डबल मर्डर के एक मामले में दोषी करार दिया है। सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने राजेंद्र राय और दारोगा राय हत्याकांड मामले में पटना उच्च न्यायालय के फैसले को पलट कर प्रभुनाथ सिंह को दोषी करार दिया है।

बिहार में प्रभुनाथ सिंह की छवि एक बाहुबली नेता की रही है। इनके रुतबे का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कभी ये राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के करीबी रहे, तो कभी ये बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश के नजदीकी रहे।

वर्ष 2010 से वे लालू प्रसाद के साथ हैं। प्रभुनाथ सिंह की पहचान दबंग छवि वाले नेता के रूप में रही है। शुरुआती दौर में वो मशरक विधानसभा से चुनाव लड़े। मशरक के विधायक रहे रामदेव सिंह काका की 1980 में हुई हत्या के मामले में नाम आने के बाद प्रभुनाथ चर्चा में आए। इसके बाद से 1985 में वे मशरक से निर्दलीय विधायक बन गए।

वर्ष 1990 में जनता दल ने इन्हें टिकट दिया और फिर चुनाव जीत गए। इसके बाद 1998 से 2014 तक चार बार लोकसभा में इन्होंने महाराजगंज का प्रतिनिधित्व किया।

इसमें तीन बार नीतीश की पार्टी तो एक बार लालू को पार्टी के सांसद बने। राजद के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह पर 1995 में मसरख के एक मतदान केंद्र के पास दारोगा राय और राजेंद्र राय की हत्या का आरोप था। आरोप था कि दोनों ने प्रभुनाथ सिंह समर्थित कैंडिडेट को वोट नहीं दिया इसलिए उनकी हत्या कर दी गई।

निचली अदालत से 2008 में सबूतों के अभाव में पूर्व सांसद को रिहाई मिल गई थी। इसके बाद यह मामला पटना उच्च न्यायालय पहुंचा। 2012 में पटना उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को सही माना। इस फैसले के विरोध में राजेंद्र राय के भाई ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

प्रभुनाथ सिंह फिलहाल हत्या के एक मामले में जेल में है। वर्ष 1995 में मशरक के विधायक अशोक सिंह की 1995 में हत्या हो गई थी, जिन्होंने चुनाव में प्रभुनाथ सिंह को हराया था। अशोक सिंह की हत्या उनके घर पर दिनदहाड़े कर दी गई थी। इस मामले में ही प्रभुनाथ सिंह फिलहाल सजा काट रहे हैं।

–आईएएनएस

एमएनपी

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button