केरल हाई कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों की सुरक्षा संबंधी दिशानिर्देश के लिए न्याय मित्र नियुक्त किया

कोच्चि, 21 अगस्त (आईएएनएस)। केरल उच्च न्यायालय ने न्यायिक हिरासत में इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने में अदालत की मदद करने के लिए सोमवार को अधिवक्ता रंजीत बी. मरार को न्याय मित्र नियुक्त किया।

यह मुद्दा अदालत के ध्यान में तब आया जब वह 2017 के अभिनेत्री उत्पीड़न मामले में उत्तरजीवी द्वारा दायर एक याचिका पर विचार कर रही थी जिसमें उस मामले की जांच में गड़बड़ी का आरोप लगाया गया था जिसमें अभिनेता दिलीप मुख्य आरोपी हैं।

अपनी याचिका में उन्होंने आरोप लगाया कि सभी नैतिक और कानूनी मानदंडों के विपरीत दिलीप का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ताओं ने सबूतों के साथ छेड़छाड़ करके और महत्वपूर्ण गवाहों को अवैध रूप से प्रभावित करके न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप किया।

याचिका में यह भी बताया गया कि इस संबंध में साक्ष्य पहले ही मीडिया में प्रकाशित हो चुके हैं और याचिकाकर्ता के निष्पक्ष सुनवाई के मौलिक अधिकार और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त निजता के अधिकार का उल्लंघन हुआ है।

उन्होंने यह भी बताया कि याचिकाकर्ता पर हुए हमले के दृश्य लीक हो गए थे, भले ही वे मेमोरी कार्ड में संग्रहीत थे, जो उस अदालत की हिरासत में था जो मामले में सुनवाई कर रही है।

याचिका में कहा गया है, “अदालत की हिरासत में रहते हुए मेमोरी कार्ड की सामग्री का अवैध एक्सेस छेड़छाड़ ट्रांसमिशन भी भारतीय दंड संहिता की धारा 201, 204 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 67 ए के तहत दंडनीय अपराध है। यह संज्ञेय अपराध है जिसकी पुलिस द्वारा जांच होनी चाहिये।”

उत्तरजीवी ने निष्पक्ष जांच और सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए उच्च न्यायालय से हस्तक्षेप की मांग की।

याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि अधिकांश अन्य मामलों के विपरीत, मेमोरी कार्ड इस मामले में प्रत्यक्ष साक्ष्य है और इसलिए, न्यायिक हिरासत में इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश सुझाने के लिए मरार को न्याय मित्र नियुक्त किया।

–आईएएनएस

एकेजे

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