केंद्र ने जीएम सरसों जारी करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की
नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)। केंद्र सरकार ने बीज उत्पादन और परीक्षण के लिए आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) सरसों जारी करने के संबंध में यथास्थिति को बदलने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ को मंगलवार को अवगत कराया गया कि मामले को अगले सप्ताह अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किए जाने के विशिष्ट संदर्भ में नवंबर 2022 में मौखिक आश्वासन दिया गया था।
इससे पहले, केंद्र ने शीर्ष अदालत के समक्ष एक मौखिक वचनपत्र प्रस्तुत किया था, हालांकि औपचारिक रूप से अदालत के आदेश में दर्ज नहीं किया गया था, जिसमें कहा गया था कि वह जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (जीईएसी) द्वारा जीएम सरसों की पर्यावरणीय रिलीज की अनुमति देने वाले फैसले पर कोई भी आक्रामक कदम नहीं उठाएगा।
कार्यकर्ता अरुणा रोड्रिग्स ने आनुवंशिक रूप से संशोधित सरसों के पर्यावरणीय विमोचन का विरोध करते हुए कहा है कि जीएम सरसों के पर्यावरणीय विमोचन के प्रभाव के बारे में कोई नहीं जानता, जिसमें देश में सभी सरसों के बीजों को दूषित करने की क्षमता है।
वकील प्रशांत भूषण ने इस बात पर जोर दिया था कि शीर्ष अदालत की तकनीकी विशेषज्ञ समिति ने बीटी ट्रांसजेनिक के फील्ड परीक्षणों पर 10 साल की रोक लगाने की सिफारिश की थी, और अंतिम रिपोर्ट में शाकनाशी-सहिष्णु फसलों पर अनिश्चितकालीन और पूर्ण प्रतिबंध की सिफारिश की थी।
25 अक्टूबर को जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति ने बीज उत्पादन और परीक्षण के लिए जीएम सरसों को पर्यावरण के अनुकूल जारी करने की अनुमति दी।
–आईएएनएस
एसजीके