इजरायल के वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट ने भारत में धूम्रपान के नुकसान को कम करने के लिए नई रणनीति की सलाह दी
नई दिल्ली, 25 सितंबर (आईएएनएस)। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली में हाल ही में आयोजित एक संगोष्ठी में प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने धूम्रपान से संबंधित हृदय रोगों की बढ़ती वैश्विक चिंता के बारे में चर्चा की।
विशेषज्ञों ने जोर देकर कहा कि धूम्रपान से संबंधित हृदय रोगों से निपटने की तत्काल आवश्यकता है और इसके लिए नुकसान कम करने की नवाचारी नीतियां अपनाई जा सकती हैं।
इस कार्यक्रम में इज़राइल के तेल-अवीव विश्वविद्यालय में सैकलर फैकल्टी ऑफ मेडिसिन के ब्रूनर इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवास्कुलर रिसर्च में निदेशक प्रोफेसर आर. ज़िमलिचमैन द्वारा गहन विचार-विमर्श किया गया।
इज़राइली सोसायटी फॉर द प्रिवेंशन ऑफ अक्यूट मायोकार्डियल इनफ्रैक्शन के निदेशक मंडल के सदस्य प्रोफेसर ज़िमलिचमैन ने एक अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य प्रदान करते हुए कहा, “धूम्रपान हमारे वैश्विक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है, जिसमें एक अरब से अधिक लोग इससे पीडि़त हैं। स्पष्ट परिणामों के बावजूद, कई लोग स्वयं को इसकी लत का गुलाम पाते हैं।”
नुकसान कम करने के बारे में प्रोफेसर ज़िमलिचमैन ने ब्रिटेन, जापान और अमेरिका जैसे देशों में सफल उदाहरणों का उल्लेख किया, जहां व्यापक नीतियों और जागरूकता अभियानों के परिणामस्वरूप धूम्रपान की दर में गिरावट आई है। उन्होंने भारत में इसी तरह की रणनीतियों की आवश्यकता पर बल दिया।
प्रोफ़ेसर ज़िमलिचमैन ने बताया, “आज के नए बदलावों का उद्देश्य सुरक्षित विकल्पों के माध्यम से जीवन बचाना है। ऐसे उपकरण जो तंबाकू को जलाने की बजाय सिर्फ गर्म करते हैं, उनसे नुकसान काफी कम हो जाता है। निकोटिन, हालांकि नशे की लत है, पारंपरिक उपयोग में इसका कोई सीधा नुकसान नहीं है। नुकसान में कमी की दिशा में बदलाव सकारात्मक है, बशर्ते इसे दीर्घकालिक अनुसंधान और मूल्यांकन के आधार पर तैयार किया जाए।
गैर-दहनशील तंबाकू उपकरणों को अपनाने में जापान की सफलता का संकेत देते हुए, प्रोफ़ेसर ज़िमलिचमैन ने कहा, “इन उपकरणों में बदलाव के परिणामस्वरूप धूम्रपान दर में औसतन 5.2 प्रतिशत की गिरावट आई। साथ ही धूम्रपान के कारण होने वाली बीमारी के बोझ में उल्लेखनीय कमी आई। ये आशाजनक परिणाम नुकसान कम करने की रणनीतियों की क्षमता का संकेत देते हैं।”
संगोष्ठी में, धूम्रपान और हृदय रोगों से संबंधित भारत की विशिष्ट स्वास्थ्य देखभाल चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की गई।
भारतीय संदर्भ के अनुरूप वैकल्पिक समाधानों में व्यापक शोध पर जोर देने के साथ-साथ तत्काल राष्ट्रव्यापी धूम्रपान समाप्ति कार्यक्रमों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया।
नुकसान में कमी लाने के लिए साक्ष्य-आधारित नीतियां विकसित करने में सरकारी सहयोग के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया।
सर गंगाराम अस्पताल के कार्डियोलॉजी के वरिष्ठ सलाहकार और पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित डॉ. मोहसिन वली ने चर्चा को भारत की विशिष्ट आवश्यकताओं की ओर मोड़ते हुए कहा, “धूम्रपान से संबंधित हृदय संबंधी बीमारियाँ भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य पर चिंताजनक प्रभाव डालती हैं। अब समय आ गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक धूम्रपान निषेध कार्यक्रम तत्काल शुरू किया जाए।”
डॉ. वली ने भारतीय परिप्रेक्ष्य से विकल्पों पर व्यापक शोध की आवश्यकता पर भी जोर दिया, उन्होंने कहा, “हमें नुकसान में कमी को बढ़ावा देने के लिए साक्ष्य-आधारित नीतियां बनाने के लिए सहयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार की आवश्यकता है।”
डॉ. वली ने व्यापक पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाने की भी वकालत करते हुए कहा, “हमारा दृढ़ विश्वास है कि इन सिफारिशों को तुरंत लागू करके भारत हृदय रोगों से जुड़े जोखिम कारकों को काफी हद तक कम कर सकता है, और देश को एक स्वस्थ भविष्य की ओर ले जा सकता है।”
एम्स, नई दिल्ली में फिजियोलॉजीी विभाग में संज्ञानात्मक न्यूरोफिजियोलॉजी और पोषण लैब के प्रभारी तथा और संगोष्ठी के सह-अध्यक्ष प्रो. कंवल प्रीत कोचर ने भारत में स्वास्थ्य चुनौतियों के व्यापक संदर्भ में बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान की।
उन्होंने कहा कि भारत में भी हम 30 और 35 वर्ष के युवाओं को अक्सर असंतुलित और अत्यधिक जीवनशैली के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करते हुए देखते हैं। उन्होंने कहा, ”तंबाकू नियंत्रण के लिए वैश्विक युवा कार्यक्रम में तनाव प्रबंधन, लत, पर्यावरण, व्यायाम और आहार जैसे कई घटकों को संबोधित करने वाली पहल का विकास भारत में स्वास्थ्य चुनौतियों के अंतर्संबंध और समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता को दर्शाता है।”
संगोष्ठी ने धूम्रपान से संबंधित हृदय रोगों की वैश्विक चिंता पर प्रकाश डाला और इस गंभीर स्वास्थ्य चुनौती से निपटने के लिए नवीन रणनीतियों का प्रदर्शन किया।
विशेषज्ञों की सर्वसम्मति ने स्वस्थ, धूम्रपान मुक्त भविष्य बनाने के लिए साक्ष्य-आधारित नीतियों, सहयोगात्मक प्रयासों और मजबूत जागरूकता अभियानों के महत्व पर जोर दिया।
इस संगोष्ठी का उद्देश्य विशेषज्ञों द्वारा सरकारी और सामाजिक हस्तक्षेप के लिए संयुक्त आह्वान धूम्रपान और संबंधित हृदय रोगों से उत्पन्न वैश्विक और राष्ट्रीय स्वास्थ्य खतरे से निपटने की दिशा में एक स्पष्ट रोडमैप की रूपरेखा तैयार करना है।
–आईएएनएस
एकेजे