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विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस: डरें नहीं ,अपनों से करें बात

कई बार हमारे आस पास ही कोई मानसिक रूप से ग्रस्त व्यक्ति होता है लेकिन हम उसको पहचाने में देरी कर देते है ऐसे में जरूरी है हम किसी भी व्यक्ति से बात करते समय उसके हाव भाव को ध्यान दे समझे क्यूंकि अक्सर मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति दुनिया के डर से अपनी बात करने में हिचकिचाता है।

आज विश्व भर में मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जा रहा है। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है की आखिर क्यों जरुरी है मानसिक स्वास्थ्य। मानसिक स्वास्थ्य से एक व्यक्ति को अपनी ऊर्जा शक्ति क्षमताओं का पता लगाने में सक्षम होता है। अपने जीवन में आने वाले तनावों का वह किस तरह से सामना कर सकते है यह सब निर्भर करता है उसके मानसिक स्वास्थ्य पर।

WHO की एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 1 अरब लोग मानसिक रोग के शिकार है। मानसिक रूप से अस्वथ्य लोगों में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या ज्यादा है. वहीं बच्चे डेवलपमेंटल डिजॉअर्डर्स से पीड़ित हो रहे हैं। इस मानसिक रूप से अस्वथ्य लोग अपने जीवन में छोटी छोटी बातो को लेकर डरे व सहमे रहते है। मानसिक अस्वथ्य व्यक्ति के बर्तावों में कई तरह के लक्षण देखे जा सकते है जैसे समझदारी से भोजन ना करने, नियमित व्यायाम न होना, पर्याप्त नींद न लेना , मद्य और धूम्रपान, चिकित्सकीय उपचारों का पालन ना करने आदि से वह अपने शारीरिक रोग के जोख़िम को भी बढ़ाते हैं। और कहीं न कहीं अवसाद के कारण हृदय और रक्तवाहिकीय रोग होते हैं। मानसिक अस्वस्थता के कारण कई तरह की सामाजिक समस्याएं भी बढ़ती हैं जैसे, बेरोजगार, बिखरे हुए परिवार, गरीबी, नशीले पदार्थों का दुर्व्यसन और संबंधित अपराध। और चिंता का विषय तो यह है की इस अवसाद से ग्रस्त चिकित्सकीय रोगियों का हश्र बिना अवसाद से ग्रस्त रोगियों से अधिक बुरा होता है।

मानसिक स्वास्थ्य को तीन प्रमुख घटकों में बांटा जा सकता है:
संज्ञानात्मक स्वास्थ्य : हमारे विचारों का हमारी भावनाओं और व्यवहार पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। हम कैसा महसूस करते हैं और कैसे कार्य करते हैं, इसके लिए हमारे सोचने का तरीका मायने रखता है। विचारों को परिकल्पना के बजाय तथ्यों के रूप में मानते हैं तो हम मुसीबत में पड़ जाते हैं।
भावनात्मक स्वास्थ्य : कई बार हम अपनी भावनाओं को उनकी कीमत से अधिक महत्व देते हैं, जिससे हम उथल-पुथल में फंसने का जोखिम उठाते हैं। व्यवहारिक स्वास्थ्य: आप अपने आस-पास की दुनिया के साथ कितने जुड़े हुए हैं, आप कितनी अच्छी तरह काम कर रहे हैं, आपके रिश्तों की गुणवत्ता और आप किस हद तक अपनेपन और समुदाय की भावना महसूस करते हैं इन सब की समझ से आप अपना व्यवाहर स्वास्थ्य देख सकते है।

यह तीनो कड़ी आपस में मिली हुई है और इनकी पहचान से ही किसी व्यक्ति में मानसिक अस्व्स्था का पता लगाया जा सकता है।

मानसिक रूप से अस्वस्थ लोगों में कुछ ऐसे लक्षण होते है जिनको देख हम उस व्यक्ति की पहचान कर सकते है:

1. हर समय उदास महसूस करना
2. नींद ज्यादा या बहुत कम आना
3. बहुत चिंता या भय होना
4. पीठ, सिर या कहीं हर वक्त दर्द रहना
5. अपराध की भावनाएं महसूस करना
6. मन से बेचैन होना या ध्यान केंद्रित न कर पाना
7. मानसिक स्थिति में बहुत बदलाव होना
8. खाने की आदतों में बदलाव आना
9. शरीर में थकान और ऊर्जा में कमी
10. समाज, परिवार और दोस्तों से दूर रहना
11. किसी तरह की भ्रम की स्थिति में रहना
12.अपने डेली के काम न कर पाना
13. किसी नशा या शराब ज्यादा पीना
14 . आत्महत्या करने के विचार आना
15 . बहुत गुस्सा या हिंसक व्यवहार दिखाना

मानसिक रोग से कैसे करें बचाव :

कोई भी व्यक्ति अगर किसी भी मानसिक रोग से पीड़ित व्यक्ति को स्वस्थ्य देखना चाहें तो उसके लिए सबसे अच्छा तरीका है सबसे पहले उसकी पहचान की जाए , उसके व्यवहार पर भी गौइर किया जाए। फिर उसे ठीक किया जा सकता है। पीड़ित व्यक्ति के साथ समय बिता कर उससे उसकी परेशानी जानने की कोशिश करें। कोशिश करे की उसको अच्छी डाइट दिलाएं , किताबें पढ़ें और उनको उनके मन की बातें लिखने को कहे साथ ही समय समय पर मनोचिकित्सक की सलाह भी लें, भरपूर नींद और थेरेपी का सहारा लेकर भी आप उनकी मदद कर सकते है।

मानसिक रोग कोई बहुत ही गंभीर मामला नहीं है लेकिन कई बार बहुत से मानसिक रोगी अपना इलाज समाज के सामने हो रहे बदनामी की वजह से इसका इलाज करवाने से कतराते हैं. उन्हें लगता है कि लोग क्या सोचेंगे? कई बार तो मानसिक बीमारी को समझने में इतनी देरी हो जाती है की लोगों के मन में सुसाइड करने तक के विचार आने लगते हैं. इसलिए मानसिक रोगी की पहचान करना और शामे से इसका इलाज करवाना जरूरी है।

खुद से ले एक प्रण :

आज विश्व मानसिक दिवस के अवसर पर एक बात हम सभी को जाननी जरुरी है कि जीवन में बहुत से कठिनाईओं का सामना करना पड़ता है लेकिन जरूरी है की उन सब से हम कैसे निपटते है। हमे लगातार कई चुनौतियों, विकर्षणों और बाधाओं का सामना करना पड़ता है जिससे कई बार हम डर जाते है और हमारा आत्मविश्वास कमजोर हो जाता है। कई बार तोह समाज के दर से मानसिक रोग से पीड़ित व्यक्ति इलाज करने से डरता है जो की गलत है लोगो के दर से अपनी अपने अंदर ही अंदर घुटना बंद करें। इसलिए जरुरी है कि अपने अंदर की क्षमताओं को पहचाना बेहद जरूरी है और अगर कोई बात मन में है तो कोशिश करें कि किसी अपने से वह बात जरूर शेयर करें ताकि आपके मन को शांति मिल सके और आप और भी ज्यादा बेहतर सोच सके।

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