नौकरी में महिला आरक्षण : धामी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की एसएलपी
उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों में स्थानीय महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण बहाल करने को लेकर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दाखिल कर दी है। सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड वंशजा शुक्ला ने एसएलपी दाखिल की। इस मामले में कालूनी राय लेने के बाद धामी सरकार अध्यादेश लाने की भी तैयारी कर रही है। सूत्रों के मुताबिक 12 अक्तूबर को होने वाली कैबिनेट की बैठक में अध्यादेश के प्रस्ताव को मंजूरी दी जा सकती है।
गौरतलब है कि नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य लोकसेवा आयोग की राज्य (सिविल) प्रवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा में उत्तराखंड मूल की महिला अभ्यर्थियों को 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण देने वाले 2006 के शासनादेश पर रोक लगा दी थी। इस आदेश के बाद प्रदेश में विभिन्न पदों के लिए चल रही सरकारी भर्ती में महिला आरक्षण को लेकर असमंजस की स्थिति बनी है।
धामी सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के संकेत पहले ही दे दिए थे। अब एसएलपी दाखिल होने के बाद साफ हो गया है कि सरकार इस मुद्दे पर गंभीर है। सूत्रों के मुताबिक इस मामले में मजबूत पैरवी के लिए उत्तराखंड सरकार देश के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की सेवा भी ले सकती है।
गौरलतब है कि उत्तराखंड राज्य बनने के बाद सरकारी नौकरियों में स्थानीय महिलाओं को सबसे पहले 18 जुलाई जुलाई को 20 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया गया था। इसके बाद 24 जुलाई 2006 को इसे बढ़ा कर 30 फीसदी कर दिया गया। तब से पिछले साल तक उत्तराखंड मूल की महिलाओं को इस आरक्षण का लाभ मिल रहा था लेकिन पिछले साल लोक सेवा आयोग की उत्तराखंड सम्मिलित प्रवर सेवा परीक्षा के बाद इसी वर्ष जब रिजल्ट घोषित हुआ तो हरियाणा राज्य की एक महिला अभ्यर्थी इस 30 फीसदी आरक्षण के खिलाफ कोर्च चली गई। अभ्यर्थी का तर्क था कि उसके नंबर उत्तराखंड की स्थानीय अभ्यर्थी से ज्यादा थे लेकिन उसे बाहर कर दिया गया। बीती 24 अगस्त हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद उक्त अभ्यर्थी के पक्ष में निर्णय सुनाते हुए स्थानीय महिलाओं को मिल रहे 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण पर रोक लगा दी।