क्यों हो रहा है भारतीयों का दिल कमज़ोर ? देश में साइलेंट हार्ट अटैक के मामलों में असाधारण वृद्धि

पूरी दुनिया में हार्ट अटैक यानी हृदयाघात की समस्या आम हो गई है, कब किसे किस उम्र में हार्ट अटैक आ जाए कहा नहीं जा सकता। चिंता का विषय ये है कि भारत में कम उम्र के लोगों को भी हार्ट अटैक आ रहे हैं इसमें एक बड़ी संख्या युवाओं की है और भारत में 35-40 साल के लोगों में ये समस्या लगातार बढती जा रही है |

क्या कहते हैं आंकड़े ?

भारत में हार्ट अटैक से मरने वालों में हर 10 में से 4 की उम्र 45 वर्ष से कम है | आप ये समझिये की देश में एक साल में उतनी मौतें कोरोना वायरस से नहीं हुई जितनी हार्ट अटैक से हो रही हैं |

विज्ञान और स्वास्थ्य पर रिसर्च करने वाली पत्रिका लेंसेट के मुताबिक़ साल 1990 में भारत में होने वाली कुल मौतों का कारण 15% हार्ट अटैक था और 2016 में ये आंकड़ा बढ़कर 28 फीसदी पहुँच गया |

क्या है साइलेंट हार्ट अटैक ?

आमतौर पर लोगों को एक ही तरह के हार्ट अटैक के बारे में पता है और इस बारे में वे इतना जानते हैं कि हार्ट अटैक में  दिल में तेज दर्द उठता है उसे हार्ट अटैक कहते हैं |
ये सही भी है लेकिन एक हार्ट अटैक ऐसा भी है जिसमें आपको सीने में दर्द नहीं होता। इसके लक्षण भी आमतौर पर दिखाई नहीं देते।

साइलेंट हार्ट अटैक के लक्षण-

साइलेंट हार्ट अटैक में अक्सर ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं जिन्हें हम किसी और बीमारी से जोड़ते हैं और लोग इससे बेखबर होते हैं।
इस दौरान आपको सीने में भारीपन, पेट में जलन, थकावट महसूस होती है । अब इसे हम आमतौर पर एसिडिटी समझ लेते हैं लेकिन रुकिए इसे सिर्फ एसिडिटी समझ कर मत टालिए ये आपके दिल के लिए खतरे की घण्टी भी हो सकती है।

क्यों आता है साइलेंट हार्ट अटैक ?

आजकल का खानपान साइलेंट हार्ट अटैक का बहुत बड़ा कारण है। हम जंक फूड ज्यादा कंज्यूम कर रहे हैं जिसमें फैटी एसिड और हाई कोलेस्ट्रॉल होता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल और एक्स्ट्रा फैट हमारी हार्ट की नलियों में जमा होता है और इसी वजह से हार्ट में ब्लॉकेज जैसी समस्या पैदा होती है। इस ब्लॉकेज की वजह से रक्त को हृदय तक जाने में समस्या होती है कई बार तो ये नलियां फट भी जाती हैं इसी वजह से साइलेंट हार्ट अटैक आता है।

क्या है इलाज ?

  • हालांकि सीने में हर बार उठने वाली जलन और हार्ट अटैक का संकेत नहीं हो सकती लेकिन एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
  • अपनी डाइट का पूरा ख्याल रखें खास तौर पर तब जब आप पहले ही किसी बीमारी से जूझ रहे हों।
  • अपना बीपी, प्लस रेट और डायबिटीज लेवल समय-समय पर चेक करते रहें।
  • व्यायाम करते रहें खास कर साँसों से सम्बंधित व्यायाम जैसे अनुलोम-विलोम और दौड़-भाग
  • अपनी डेली लाइफ में अनुशासन लाएं।
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