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क्या है इस बुखार का राज़ : डेंगू या कुछ और….?

डेंगू का मच्छर साफ़ और गंदे दोनों पानी के ठहराव में पनपता है। डेंगू के टेस्ट में रिपोर्ट पहली बार में ही पॉजिटिव नहीं आ जाती है, जबकि वायरल बुखार का पहली बार में ही पता लगाया जा सकता है। डेंगू बुखार फीवर से अधिक घातक बीमारी है, इसलिए डेंगू के मरीज को देखभाल की ज्यादा आवश्यकता होती है।

इन दिनों शहर भर के कई इलाक़ो में हर ओर डेंगू का खतरा पनप रहा है हर दूसरा व्यक्ति इसकी चपेट में है…शहर भर में डेंगू को लेकर जागरूकता फैलाई जा रही है.. नगर निगम द्वारा छिड़काव किये जा रहे है.. घर , दफ्तरों व अन्य संस्थानों में लार्वा मिलने की शिकायत पर जुर्माना लगाया जा रहा है… अस्पतालों में बुख़ार से ही पीड़ित मरीज़ो की लम्बी लम्बी कतारे लगी हुई है… लेकिन वही एक बात और सामने आ रही जहा लोगों को डेंगू के कोई लक्षण नहीं है लेकिन व्यक्ति बुख़ार से तड़प रहा है..इसलिए सबसे पहले यह जाने की डेंगू किस प्रकार होता है।

डेंगू के लक्षण :

ज्यादातर डेंगू में होने वाला बुखार भी एक साधारण बुखार होता है जिससे कई बार किशोरों एवं बच्चों में इसकी आसानी से पहचान नहीं की जा सकती। डेंगू में 104 फारेनहाइट डिग्री का बुखार होता है, जिसके साथ इनमें से कम से कम दो लक्षण होते हैं:

सिर दर्द
मांसपेशियों, हड्डियों और जोड़ों में दर्द
जी मिचलाना
उल्टी लगना
आंखों के पीछे दर्द
ग्रंथियों में सूजन
त्वचा पर लाल चकत्ते होना

डेंगू के बुखार पर एक बात और ध्यान रखनी होती है की यह बुखार किस प्रकार का है… तीन प्रकार के बुखार होते हैं, जिनसे व्यक्ति को खतरा होता है, जो इस प्रकार हैं

हल्का डेंगू बुखार – इसके लक्षण मच्छर के दंश के एक हफ्ते बाद देखने को मिलते हैं और इसमें गंभीर या घातक जटिलताएं शामिल हैं।
डेंगू रक्तस्रावी बुखार – लक्षण हल्के होते हैं, लेकिन धीरे-धीरे कुछ दिनों में गंभीर हो सकते हैं।
डेंगू शॉक सिंड्रोम – यह डेंगू का एक गंभीर रूप है और यहां तक कि यह मौत का कारण भी बन सकता है।

डेंगू बुखार का उपचार :

डेंगू का बुखार आमतौर पर एक वायरस है जिसको अगर समय से सही देखरेख में ऐतिहात में लिया जाये तो जल्दी ही इससे निजात मिल सकती है लेकिन इस बात का ख्याल जरूर रखें की बीमारी कितनी गंभीर है। कई चिकिस्तकों द्वारा डेंगू बुखार के कुछ उपचार बताएं जाते हैं , जो की निम्लिखित है…

औषधि : टायलेनोल या पैरासिटामोल जैसी दर्द निवारक दवाएं आमतौर पर रोगियों को दी जाती हैं। गंभीर डिहाइड्रेशन के मामले में कभी-कभी आईवी ड्रिप्स प्रदान की जाती हैं।

हाइड्रेटेड रहें : यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमारे शरीर के अधिकांश तरल पदार्थों का उल्टी और तेज बुखार के दौरान ह्रास हो जाता है। तरल पदार्थों के लगातार सेवन से यह सुनिश्चित हो जाता है कि शरीर आसानी से डिहाइड्रेट नहीं होगा।

डेंगू से बचाव :

1. अपनी त्वचा की सतहों को ढकने और मच्छर के दंश की संभावना को कम करने के लिए लंबी पैंट और पूरी बाजू की शर्ट पहनने की कोशिश करें। डेंगू के मच्छर सुबह या शाम को अत्यधिक सक्रिय होते हैं, इसलिए ऐसे समय में बाहर निकलने से बचने की कोशिश करें।
2 . डाइथाइलटोलुआमाइड (डीईईटी) के कम से कम 10 प्रतिशत कंसंट्रेशन वाला रेपेलेंट प्रभावी रहता है। लंबे समय तक जोखिम हो तो फिर उच्च कंसंट्रेशन वाले रेपलेंट की आवश्यकता होती है। मच्छरों को दूर रखने के लिए आप रोजाना ऐसी क्रीम लगा सकते हैं।
3 . जब आप किसी वायरस से संक्रमित होते हैं, तो आप अन्य बीमारियों के प्रति अतिरिक्त संवेदनशील हो जाते हैं। डेटॉल लिक्विड हैंडवॉश का प्रयोग करें, जो कीटाणुओं को दूर रखने का काम करता है। यह तरल साबुन आपको कई बीमारी पैदा करने वाले कीटाणुओं से बचाएगा।
4 . एडीज मच्छर साफ और स्थिर पानी में पनपता है। पानी के बर्तन या टंकी को हर समय ढककर रखें और यदि आवश्यक हो तो एक उचित कीटाणुनाशक का उपयोग करें। मच्छरों के लिए एक प्रजनन आधार विकसित करने की संभावनाओं को कम करने के लिए ऐसे किसी भी बर्तन या सामान को उल्टा करके रखें, जिसमें पानी इकट्ठा हो सकता है और सतहों को अच्छी तरह से साफ करें।

अब बात करते है की अगर किसी व्यक्ति को डेंगू नहीं है तो तेज़ बुखार, सिरदर्द व अन्य बीमारियों ने क्यों जकड़ लिया है… ?

इन दिनों जहां एक और डेंगू ने आतंक मचाया हुआ है वही दूसरी ओर बदलते मौसम के कारण लोग अधिकतर बीमार पढ़ रहे है वजह है वायरल बुख़ार। डेंगू की बीमारी मानसून के मौसम में ज्यादा फैलती है, जबकि वायरल बुखार मौसम बदलने से ज्यादा होता है। दोनों बीमारियों के लक्षण बहुत हद तक एक जैसे हैं। डेंगू एडीज एजिप्टी नामक मच्छर के काटने से फैलता है, जबकि वायरल बुखार संक्रमण से फैलता है।

वायरल बुखार के यह है मुख्य कारण:
– वायरल बुखार होने के बहुत से कारण है। यह बीमारी मौसम के बदलने और मानसून के समय अधिक होती है।
– संक्रमित भोजन और पानी का सेवन वायरल बुखार का कारण हो सकता है।
– प्रदूषण के कारण कुछ ऐसे कण होते हैं, जो शरीर के अंदर चले जाते हैं, जिससे शरीर कमजोर हो जाता है और वायरल फीवर हो जाता है।
– कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण शरीर वायरल बुखार से संक्रमित हो जाता है।
– वायरल बुखार से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से भी वायरल बुखार फैलता है।

वायरल बुखार को ठीक होने में लगता है कितना समय…?

वायरल बुखार सामान्य बुखार के तुलनात्मक रूप से थोड़ा अधिक समय तक रहता है। इसके मरीज को अगर समय पर इलाज और देखभाल मिल जाए तो उसे ठीक होने में पांच दिन तक लग सकते हैं। अगर किसी मरीज को सही इलाज न मिले तो वायरल बुखार ठीक होने में 13 से 15 दिन तक का समय लग सकता है। ऐसे में मरीजों को जितना हो सके, आराम करना चाहिए और खूब पानी पीना चाहिए, इससे उन्हें जल्द ठीक होने में मदद मिलेगी। अगर किसी मरीज की स्थिति गंभीर हो रही है और बुखार कम नहीं हो रहा है तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।

वही वरिष्ठ चिकिस्तकों की मानें तो व्यक्ति को अपने खान-पान और आस-पास की सफ़ाई को लेकर सजग रहना होगा। जिस प्रकार से बीमारियों का सैलाब उमड़ पड़ा है हर एक व्यक्ति को न सिर्फ अपनी बल्कि अपने साथ वालो को भी हर सही जानकारी का अहसास कराना होगा। अगर किसी व्यक्ति की हालत ज्यादा गंभीर दिखे तो तुरंत ही अपने नजदीकी अस्पताल ले जा कर इलाज़ कराए। घर पर खुद ही या डॉक्टर के परामर्श के बिना कोई दवाई न ले।

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