देर रात तक जागने से मेंटल हेल्थ पर गहरे प्रभाव : हॉवर्ड विश्वविद्यालय की रिसर्च में खुलासा

दुनियाभर के छात्रों में अब देर रात तक पढने का चलन लगातार बढ़ रहा है | इसके पीछे ज्यादातर स्टूडेंट्स का तर्क रहता है की रात को दिमाग शांत रहता है और पढाई में आसानी से मन लग जाता है | यदि आपका भी यही तर्क है तो सावधान हो जाइये, ये आदत आपके मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है |

हावर्ड यूनिवर्सिटी के एक शोध के मुताबिक देर रात तक पढने वाले छात्रों और देर रात तक काम करने वाले लोगों में अनिंद्रा का खतरा बढ़ जाता है और वे निराशा के दौर से भी गुज़रते हैं जिससे वे अक्सर खुद को अकेला महसूस करने लगते हैं |

रिसर्च में ये भी खुलासा हुआ है की इससे आत्महत्या की सम्भावना तीन गुना तक बढ़ जाती है |

भारत में लाखों ऐसे छात्र हैं जो देर रात तक पढ़ते हैं और सुबह जल्दी उठकर फिर से अपने रोज़मर्रा के कामों में लग जाते हैं | हालाँकि वे कुछ देर का आराम लेते हैं लेकिन मेंटल हेल्थ के लिए सिर्फ कुछ देर का आराम लेना काफी नहीं है इसके लिए हमें पूरी नींद भी लेनी चाहिए |

भारत के ज्यादातर पेरेंट्स भी बच्चों को देर रात तक पढने के लिए कहते हैं, बच्चे पढना नहीं चाहते लेकिन वे मां-बाप के डर से जबरदस्ती पढ़ते हैं और फिर सुबह उठते ही उनमें सिर दर्द की शिकायत होती है |

अब ज्यादातर पेरेंट्स का तर्क होता है की बस कुछ दिन के बाद आदत हो जाती है | हालाँकि ये सही भी है लेकिन इससे बच्चों के दिमाग को पूरी तरह आराम नहीं मिल पाता और वे चिडचिडे होने लगते हैं और उन्हें अक्सर छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आनेलगता है |

रिसर्च में सामने आया है की रात को देर तक जागने से डोपामाइन हार्मोन अधिक मात्र में स्रावित होता है जिससे व्यवहार में भी परिवर्तन आता है | बॉडी क्लॉक के अनुसार दिन का समय जागने और रात का समय सोने के लिए बना है और हम इस नियम का खंडन कर रहे हैं |

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