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Uttarkashi Tunnel Collapse: धार्मिक स्थल के पिकनिक स्पॉट बनने के चलते स्थानीय लोग परेशान

देवभूमि उत्तराखंड आस्थाओ का प्रदेश है। अन्य जगहों की तुलना में यहां देवताओं की सर्वाधिक मौजूदगी के कारण ही उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है। यह पावन धरती अपने अनेक मंदिरों के लिए जाने जाती है। रामायण और महाभारत से जुड़ी कई दंत कथाएं भी इस पावन भूमि पर सदियों से प्रचिलित रही है, किन्तु अब इन आस्थाओं की जगह पर्यटन ने ले ली है। पिछले कुछ सालों में देश में “Religious Tourism” में इजाफा हुआ है।पहाड़ों की बर्बादी का खामियाजा पर्यटकों के चले जाने के बात स्थानीय लोगों को भुगतना पड़ता है

धार्मिक स्थल के पिकनिक स्पॉट बनने के चलते लोगों की लगातार भीड़ को देखते हुए एक तरफा निर्माण कार्य होता है। प्रदेश में लगातार आने वाली आपदाओ ने यह बताया है की मध्य हिमालय या हिमालय जैसे नया पहाड़ इन निर्माण कार्यों से कमजोर पड़ रहे है । हजारों लाखों पेड़ों के कटने की वजह से पहाड़ मिट्टी नहीं रोक पा रहे है और आपदा का आना बदस्तूर जारी है ।

निश्चित तौर पर धार्मिक स्थलो में पर्यटकों का स्वागत है, किन्तु पहाड़ों की बर्बादी का खामियाजा पर्यटकों के चले जाने के बात स्थानीय लोगों को भुगतना पड़ता है। जिसके चलते प्रदेशवासियों को भारी नुकसान होता है। इसका उदाहरण आप जोशीमठ प्राकृतिक आपदा से ले सकते है कि कैसे वहां मना करने पर भी बेधड़क निर्माण होते रहे और आखिरी में पूरा जोशीमठ अस्त व्यस्त हो गया।

पिछले कुछ सालों में देश में “Religious Tourism” में इजाफा हुआ है और अयोध्या में मंदिर निर्माण के बाद वहाँ पर पर्यटकों की सख्या में आई बढ़ोतरी इस बात का प्रमाण भी है, किन्तु पहाड़ों में और अयोध्या में काफी फ़र्क है। यहाँ की भूसंरचना वहाँ से अलग है। यहाँ के छोटे से लेकर बड़े-बड़े मंदिरों तक जनमानस की गहरी आस्था रही है। देवभूमि में मंदिरों का मतलब केवल पर्यटन नहीं है, यहाँ के लोगों के लिए यह उनके वजूद से जुड़ा हुआ है और इसपर किसी भी तरह की चोट सीधे लोगों के वजूद पर चोट है । उत्तराखंड में आने वाली प्राकृतिक आपदाओ को लेकर भी कहीं न कहीं लोग “Religious Tourism” को जिम्मेदार ठहरा रहे है।

उत्तरकाशी टनल हादसा

उत्तरकाशी टनल हादसे में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन पर इस वक्त पूरे देश के लोगों की नजर बनी हुई है। पिछले 14 दिनों से निर्माणाधीन सुरंग के मलबे में 41 जिंदगियां फंसी हुई हैं। मलबा हटाने के लिए तरह-तरह की मशीनें लगाई गई। विदेशी मशीनें भी बुलाई गई। लेकिन अभी तक मजदूर बाहर नहीं निकल पाएं है। हालांंकि तरह-तरह के प्रयास जारी है।

कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना ने दिए बयान

कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना ने उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सिल्क्यारा सुरंग हादसे को लेकर केंद्र सरकार पर एक के बाद एक निशाने साधे है।  उन्होंने सुरंग से 41 मजदूरों को न निकाल पाना सरकार की नाकामयाबी बताया है। इसके साथ ही उन्होंने एस्केप टनल न बनाने का आरोप भी केंद्र सरकार पर लगाया है।

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