उत्तराखंडराजनीति

उत्तराखंड: आखिर क्यों छूट रहा Congress का ‘हाथ’

उत्तराखंड में कई नामचीन नेताओं ने कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा में शामिल हो गए है। जिसकी वजह से कहीं न कहीं कांग्रेस का पलड़ा हल्का होता जा रहा है।

लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Elections) के नजदीक आते ही राजनितिक दल अपनी अपनी ओर से पूरी कोशिशों से आमजन को लुभाने में लग जाते है। चुनावों के नजदीक आते ही जहां एक ओर राजनितिक पार्टी जनता को अपनी ओर खींचने का प्रयास करते है। वहीं दूसरी ओर अपनी ही पार्टी में मौजूद नेताओं को संभाल के रखना भी उनके लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आ जाता है।

जो नेता एक दल में रह कर अन्य दलों के प्रति कड़वे बोल बोल कर जनता के सामने अपनी पार्टी का नजरिया पेश करता है उसी नेता का अपनी पार्टी छोड़ विपक्षीय पार्टी में शामिल होना उसकी छवि जनता के सामने पेश कर देता है। आगामी लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Elections) में भी कुछ ऐसी ही हवा देखने को मिल रही है। किसी भी नेता या कार्यकर्त्ता को जिस पार्टी का जादू जनता पर चढ़ता दिखता है वह उस पाले में छलांग लगा देते है।

उत्तराखंड में हर बार चुनावों में बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिलती है। एक पार्टी के नेता, कार्यकताओं का अन्य पार्टियों में शामिल होने का सिलसिला भी जारी हो गया है लेकिन जिस तरह से चुनावों के ठीक नजदीक आते ही कांग्रेस को एक के बाद एक बड़े झटके लग रहे है वह आगे चल कर कांग्रेस पार्टी के लिए बड़ी समस्या बन सकती है। एक विधायक, चार पूर्व विधायक, एक पूर्व सांसद प्रयाशी, और दो विधानसभा प्रत्याशियों का ऐसे अचानक ही पार्टी का दामन छोड़ देना कांग्रेस पार्टी के लिए जरूर असहज हो गया है। महज दो लाइन में अपना व्यक्तिगत कारण लिख कांग्रेस पार्टी को अपना त्यागपत्र सौंप दिया।

इन्होनें छोड़ी कांग्रेस

28 जनवरी को पूर्व विधायक शैलेंद्र रावत के त्यागपत्र से कांग्रेस को पहला झटका लगा था। जिसके बाद 8 मार्च को पौड़ी से लोकसभा चुनाव लड़े मनीष खंडूरी ने भी कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया। इसके बाद तो एकाएक कांग्रेस से त्यागपत्रों की मानों झड़ी लग गई। राजेंद्र भंडारी, पूर्व विधायक विजयपाल सिंह सजवाण, मालचंद, धन सिंह नेगी और विधानसभा चुनाव प्रयाशी लक्ष्मी राणा, अनुकृति गुंसाईं ने भी कांग्रेस का दामन छोड़ दिया। सभी ने अपने अपने त्यागपत्रों में व्यक्तिगत कारणों से पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।

क्या मुश्किल होगी कांग्रेस की राह

उत्तराखंड में हमेशा से कांग्रेस (Congress) और बीजेपी (BJP) के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिलती है। प्रदेश की जनता के दिलों में दोनों ही पार्टियां हमेशा से राज करती आई है। राज्य में अन्य पार्टियों ने भी अपनी पकड़ बनाने की बहुत कोशिशें तो करी लेकिन कांग्रेस और बीजेपी के आगे कोई टिकता नज़र नहीं आया। लेकिन इन चुनावों में एकाएक बड़े नेताओं को इस तरह से कांग्रेस छोड़ना वो भी चुनावों के इतना नजदीक आकर कही न कही कांग्रेस के लिए आगे की राह मुश्किल कर सकती है।

भले ही कांग्रेस पार्टी का कहना हो कि किसी के पार्टी छोड़ने से कोई बड़ा असर नहीं पड़ता लेकिन लगातार त्यागपत्रों की लगती झड़ी से पार्टी का कुनबा खाली होने का डर जरूर बन जाता है। पार्टी छोड़ने को लेकर कई कारण होते है। पार्टी के अंदर ही चलते कलह भी कई बार सदस्यों की नाराज़गी का कारण बनते है। टिकट की चाह में भी पार्टी के सदस्य दूसरे दल में जाने से जरा भी नहीं हिचकते। वहीं इस बात का भी अंदेशा लगाया जा रहा है की कहीं न कहीं देश या प्रदेश में चल रही बीजेपी की हवा को देखते हुए भी कई नेता, कार्यकर्ता अपनी पार्टी छोड़ बीजेपी दल में शामिल हो रहे है।

खैर, अब देखना यह होगा कि अब कांग्रेस अपनी टीम के साथ इन लोकसभा चुनावों में बीजेपी के सामने कितनी बड़ी चुनौती के रूप में खड़ी होती है।

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