मां नंदा ही करती हैं इस क्षेत्र की रक्षा
राज्य उत्तराखंड के जिला पिथौरागढ़ में समुद्र तल से 2250 मीटर की ऊंचाई पर हिमनगरी मुनस्यारी के डांडाधार पर मां नंदा का भव्य मंदिर स्थित है। अति सुरम्य स्थल पर स्थित इस मंदिर से पंचाचूली की पांच चोटियां सबसे निकट नजर आती हैं।
मंदिर के पुजारियों कि माने तो मां नंदा देवी क्षेत्र की कुलदेवी है। मां नंदा ही इस क्षेत्र की रक्षा करती है। नंदाष्टमी में यहां पर विशाल मेला लगता है। और भक्त नवरात्र में माँ की पूजा, अर्चना होती है।
अगर इस मंदिर के इतिहास की बात करें तो, मुनस्यारी से तीन किमी दूर डांडाधार में स्थित नंदा देवी मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। बताया जाता है कि यहां पर पूर्व में पापड़ी, प्यांकुती, वर्नियागांव के ग्रामीण मां नंदा की पूजा करते थे। मां नंदा देवी पर यहां अगाध श्रद्धा रहती है। ग्रामीणों के अनुसार पापड़ा उपजाति के लोगों द्वारा तेरहवीं शताब्दी में नंदा देवी मंदिर की स्थापना की गई थी।
स्थानीय लोगों के मान्यताओं के अनुसार मां नंदा जब नंदा देवी से यहां आयी तो उन्हें यह स्थल सबसे अधिक सुरम्य लगा और वो यही पर विराजमान हो गई। और तभी से लोग उनकी पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं।
नंदा देवी मंदिर का परिसर भी विशाल है। पहाड़ी की चोटी पर स्थित यह मंदिर बेहद आकर्षक है। यहां पर लोग शांति, आध्यात्म के लिए पहुँचते हैं, साथ ही यहां के अद्भुत नज़ारे का आनंद लेते हैं। मंदिर परिसर में लोगों के बैठने, घूमने के लिए व्यवस्था है। और मंदिर का रखरखाव भी नियमित रूप से किया जाता है।
डाडाधार स्थित मुनस्यारी का नंदा देवी मंदिर अगाध श्रद्धा का केंद्र है। नंदाष्टमी के अवसर पर तो यहां पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। मां नंदा को मनोकामना पूरी करने वाली देवी माना जाता है। यहां पहुंच कर पंचाचूली पर्वतमाला का दर्शन करते हैं। मुनस्यारी आने वाला प्रत्येक पर्यटक यहां पहुंचता है, और मां नंदा के दर्शन करता है। प्रतिदिन भारी संख्या में लोग माँ नंदा के दर्शन को पहुंचते हैं।