1 अक्टूबर 1994 की रात को अलग राज्य की मांग के लिए दिल्ली निकले राज्य आंदोलनकारियों (state agitators) में पर आधी रात को रामपुर तिराहा (Rampur Tiraha) पर दो सिपाहियों द्वारा करी गयी लूट, सामूहिक दुष्कर्म, छेड़छाड़ के मामले में लगभग 30 साल बाद इंसाफ हो गया है। घटना में दोषी साबित हुए दोनों पीएससी के सिपाहियों को कारागार भेज दिया गया है। जिनकी सज़ा का फैसला 18 मार्च को लिया जाएगा।
अपर जिला एवं सत्र न्यायालय संख्या-7 के पीठासीन अधिकारी शक्ति सिंह ने सुनवाई करी। सुनवाई के दौरान दोनों आरोपी अदालत में ही हाज़िर रहे थे। दोनों दोषियों ने रामपुर तिराहा(Rampur Tiraha) में महिला राज्य आन्दोलनकारियों के साथ दुष्कर्म किया उनकी सोने के कहीं और रूपए भी लुटे थे। जिसको लेकर आंदोलनकारियों ने इसकी रिपोर्ट दर्ज कराई और 25 जनवरी 1995 को सीबीआई ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किये थे।
फैसला आने के बाद राज्य आंदोलनकारियों (state agitators) ने न्यायालय के इस फैसले का स्वागत करते हुए आभार प्रकट किया हैं। उनका कहना है कि पिछले 30 वर्षों से प्रत्येक दो अक्तूबर को काला दिवस के रूप में मनाते हैं। इसके साथ ही न्याय यात्रा भी निकाली जाती है। अब 30 साल बाद आए इस फैसले से उन सभी राज्य आंदोलनकारी व शहीद परिवारों को राहत मिली है। न्यायालय का फैसला देर से आया है लेकिन राज्य आंदोलनकारियों के लिए राहत लेकर आया।
यह है आरोपी
सिपाही मिलाप सिंह
सिपाही वीरेंद्र प्रताप