उत्तराखंड डीजीपी अभिनव कुमार ने पुलिसकर्मियों के लिए इंटरनेट नीति बनाकर इसके दिशा निर्देश जारी कर दिए गए है। पुलिसकर्मियों के लिए अब सोशल मीडिया पर एक मर्यादा तय की गयी है। इंटरनेट नीति के तहत 41 तरह के क्रियाकलापों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया गया है साथ ही 5 क्रियाकलापों को शर्तो के साथ छूट दी गयी है। अब पुलिसकर्मी वर्दी में कोई भी रील्स नहीं बना पायंगे यदि वह ऐसा करते हुए पाए गए तो उनपर उचित कार्रवाई की जाएगी।
मुख्य प्रवक्ता डॉ. निलेश आनंद ने जानकारी देते हुए कहा कि पिछले कुछ समय से पुलिसकर्मियों द्वारा वर्दी में रील्स बना कर सोशल मीडिया में प्रसारित किया जा रहा है। इसके साथ ही सरकारी आदेशों को भी हूबहू रूप से प्रसारित किया जा रहा है। जिसके बाद पुलिस मुख्यालय में विचार विमर्श करने के बाद इंटरनेट नीति बनाई गई है। ब्यूरो ऑफ़ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट की ओर से निर्धारित दिशा निर्देशों को भी जारी किया गया है। नयी इंटरनेट नीति में इंटरनेट मीडिया अकाउंट की सुरक्षा और साइबर सिक्योरिटी के लिए सुझाव भी दिए गए है। यदि किसी भी पुलिसकर्मी ने इन डिश अनिर्देशो का पालन नहीं किया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
यह है प्रतिबंधित कार्य
सरकारी कार्यलय से वर्दी में अपने व्यक्तिगत इंटरनेट मीडिया प्रोफाइल पर लाइव टेलीकास्ट और रील बनाना पूरी तरह से प्रतिबंध।
ड्यूटी के दौरान वर्दी में कोई भी ऐसी वीडियो प्रसारित करना जिसमें पुलिस की छवि खराब हो।
थाना, पुलिस कार्यलय के निरीक्षण, पुलिस ड्रिल व फायरिंग में भाग ले कर उसका लाइव टेलीकास्ट करना प्रतिबंध
कार्यस्थल से सम्बंधित कोई भी वीडियो जिसमे शिकायतकर्ता से संवाद हो रहा हो उसका लाइव टेलीकास्ट करना व उसकी वीडियो बना सोशल मीडिआ पर अपलोड करना।
इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म पर किसी भी व्यक्तिगत, व्यवसायिक कंपनी या उत्पाद का प्रचार-प्रसार करना पूरी तरह से प्रतिबंध।
किसी भी यौन शोषण पीड़ित किशोर, किशोरी, विधि विवादित किशोर की पहचान इंटरनेट मीडिया पर उजागर करना भी प्रतिबंध।
जिन आरोपियों की पहचान परेड बाकि है उनका चेहरा इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित नहीं होगा।
पुलिस के सराहनीये कार्य से सम्बंधित पोस्ट मे आरोपियों की फोटो व वीडियो को ब्लर करने के बाद ही प्रसारित किया जाएं।