पौड़ी के महाराजा अग्रसेन हिमालयन गढ़वाल विश्वविद्यालय (पूर्व नाम हिमालयन गढ़वाल विश्वविद्यालय) से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जब एक अभ्यार्थी ने प्रवक्ता पद की नियुक्ति के लिए मार्कशीट लगाई तो मार्कशीट फ़र्ज़ी पाई गई। राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए विश्वविद्यालय के कुलसचिव, उपकुलसचिव से पूरे मामले पर रिपोर्ट देने को कहा है।
ऐसे आया मामला सामने:
मेरठ के राष्ट्रीय इंटर कॉलेज लावड़ा में LT के शिक्षक ने प्रवक्ता पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन किया। वहीं जब उन्होंने आवेदन संग महाराजा अग्रसेन हिमालयन गढ़वाल विश्वविद्यालय की मार्कशीट (ए-201932898) लगाई। मार्कशीट की वेरिफिकेशन पर प्रधानाचार्य को संदेह हुआ जिस पर उन्होंने विवि को पत्र भजकर इसका वेरिफिकेशन करने को कहा। पत्र पर कोई कार्रवाई न होने के कारण उन्होंने RTI में जानकारी मांगी।
जिस पर पहले विभागीय अपीलीय अधिकारी कुलसचिव ने भी सही से जवाब नहीं दिया। जिसके बाद प्रधानाचार्य देवेंद्र ने सूचना आयोग का दरवाज़ा खटखटाया। जिसके बाद राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने महाराजा अग्रसेन हिमालयन गढ़वाल विश्वविद्यालय के दोनों सूचना अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। लेकिन कोई जवाब न आने पर आयुक्त ने दोनों अधिकारियों की भूमिका पर संदेह जताया है।
अगली सुनवाई में मांगा गया है स्पष्टीकरण
राज्य सूचना आयुक्त भट्ट ने कहा, फर्जी मार्कशीट का मामला गहन जांच का विषय है, क्योंकि कम से कम यह तो स्पष्ट हो गया कि विवि के नाम पर फर्जी प्रमाणपत्र जारी किए जा रहे हैं। आदेश की प्रति कुलपति व उपकुलपति को भेजी गई है, ताकि वह फर्जी मार्कशीट के मद्देनजर विवि की व्यवस्था सुनिश्चित करें। उन्होंने विवि के कुलसचिव, उपकुलसचिव से अगली सुनवाई में इस बात का स्पष्टीकरण मांगा है कि विवि प्रशासन ने फर्जी मार्कशीट पकड़े जाने के बाद क्या कार्रवाई की। उन्होंने ये भी कहा कि विवि के नाम के साथ उत्तराखंड, हिमालय, गढ़वाल का नाम भी जुड़ा है। इस प्रकरण में विवि को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी, ताकि भरोसा बना रहे।