उत्तराखंड

उत्तराखंड: मूल निवास प्रमाण पत्र है तो स्थायी प्रमाण पत्र जरुरी नहीं, आदेश जारी

मूल निवास प्रमाण पत्र धारकों को अब स्थायी निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की नहीं पड़ेगी जरूरत। सीएम धामी के संज्ञान में आने के बाद इस प्रकरण को गंभीरता से लेकर यह फैसला लिया गया है।

उत्तराखंड वासियों की भावना को ध्यान को रखते हुए बुधवार को धामी सरकार की ओर से आदेश जारी किया गया जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि उत्तराखंड में अब मूल निवास प्रमाण पात्र की वैधता जारी रहेगी। उत्तराखंड में रहने वाले जिन भी लोगों के मूल निवास प्रमाण पत्र बने हुए है उनको स्थायी निवास पत्र बनाने की आवश्यकता नहीं है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर इस संबंध में सचिव सामान्य प्रशासन विनोद कुमार सुमन ने आदेश जारी किए।

आदेश के अनुसार उत्तराखंड के मूल निवास प्रमाणपत्र धारकों को अब किसी भी सरकारी नौकरी, सरकारी काम या कहीं भी दाखिलों के लिए उनको स्थायी निवास प्रमाणपत्र देने की बाध्यता नहीं है।

अपने मूल के अधिकारों के लिए 24 दिसंबर को मूल निवास स्वाभिमान महारैली होने जा रही है। जिसमे उत्तराखंड के कई नामचीन हस्तियां भी शामिल होने जा रही है। स्थायी निवास की बाध्यता के विरोध में राज्य की जनता मुखर हैं।

आपको बता दें कि 28 सितंबर 2007 को सभी सामान्य प्रशासन विभाग ने पहले ही शासनादेश में पहले ही स्पष्ट कर चुका था कि मूल निवास प्रमाणपत्र धारकों के लिए स्थायी निवास प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं होगी। लेकिन आदेश जारी होने के बाद भी विभिन्न विभागों में मूल निवास प्रमाणपत्र धारकों को संबंधित विभाग, संस्था व संस्थान स्थायी निवास प्रमाणपत्र पेश करने के लिए बाध्य कर रहे हैं। जिसकी शिकायत का संज्ञान लेने के बाद यह आदेश जारी किया गया है।

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