उत्तराखंड : गढ़वाल की तीनों लोकसभा सीटों पर जबर्दस्त घमासान
पौड़ी, हरिद्वार व टिहरी में 2019 की जीत को दोहराना मुख्य चुनौती स्थानीय व राष्ट्रीय मुद्दों के उभार, जातिगत मतदान व भितरघात से जंग रोचक
देहरादून। कई दिनों से जारी चुनाव प्रचार थमने के बाद गढ़वाल की तीन सीटों पर कांग्रेस उम्मीद के विपरीत पहले से बेहतर स्थिति में दिख रही है। स्टार वार व संसाधन उपयोग में कांग्रेस को मीलों पीछे छोड़ने के बाद भी भाजपा खेमे में बेचैनी और हड़कंप की स्थिति है। भाजपा के हेलीकॉप्टर की घरघराहट ने मैदान से लेकर पहाड़ तक हिला कर रख दिया है। पौड़ी में गोदियाल, हरिद्वार में पूर्व सीएम हरीश रावत और टिहरी में बॉबी पंवार के आक्रामक चुनाव प्रचार से कांग्रेस 2024 में नये प्लेटफार्म पर खड़ी दिखाई दे रही है।
शुरुआती दौर में जहां इन तीनों सीट पर भाजपा का क्लीन स्वीप माना जा रहा था। हरिद्वार में वीरेंद्र को और टिहरी सीट पर पूर्व विधायक गुनसोला को मैदान में उतारना वाक ओवर माना जा रहा था। लेकिन चुनाव प्रचार थमने के बाद स्थिति काफी बदल बदली नजर आ रही है। दरअसल, हरिद्वार में मुख्य चेहरा हरीश रावत को ही माना जा रहा है। प्रियंका गांधी की चुनावी रैली के बाद कांग्रेस कार्यकर्ता उत्साह के साथ प्रचार में जुटे। इस लोकसभा की 14 सीटों में 5 पर कांग्रेस, 6 पर भाजपा, दो बसपा, एक निर्दलीय विधायक है। बसपा के एक विधायक का निधन हो चुका है। देहरादून जिले से सटी धर्मपुर, डोईवाला व ऋषिकेश में भाजपा के तीन विधायक पार्टी की मजबूती का मुख्य आधार बने हुए हैं। इन तीनों सीटों के पर्वतीय मतदाता भाजपा की रीढ़ माने जाते हैं।
इसके अलावा हरिद्वार जिले में कांग्रेस की पांच सीटों ने कांग्रेस को मुकाबले में खड़ा कर दिया है। मुस्लिम व दलित मतों का रुझान कांग्रेस की तरफ बढ़ा तो भाजपा के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है। हालांकि, बसपा ने यूपी के मुस्लिम नेता को हरिद्वार से टिकट दिया है। लेकिन मायावती की फ्लॉप चुनावी रैली के बाद मुस्लिम मतों का एक बड़ा हिस्सा कांग्रेस की तरफ शिफ्ट हो गया है। इस बीच, मतदान से ठीक पूर्व बसपा के जिलाध्यक्ष ने कांग्रेस में शामिल होकर दलित मतदाताओं को भी सन्देश देने की कोशिश की है। इस सीट पर मुस्लिम,दलित,सैनी व पर्वतीय मतदाता निर्णायक भूमिका में है। पीएम मोदी, सीएम योगी व धामी की रैलियों के बाद ऐन मौके पर हरिद्वार के अखाड़े उतरे पूर्व सीएम समर्थक दोगुने उत्साह में हैं। हालांकि,इससे पूर्व नड्डा के हरिद्वार कार्यक्रम में कई सीटें खाली रहने पर भाजपा के अंदर विकट स्थिति पैदा हो गयी थी।
लगभग 20 लाख वोटरों वाली इस सीट पर भाजपा ने पूर्व सीएम निशंक का टिकट काटकर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत को चुनाव मैदान में उतारा। इस सीट पर भाजपा की अंदरूनी जंग भी चर्चा में है। हरिद्वार से जुड़े कुछ भाजपा के अहम नेता 2022 का विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। इन नेताओं का त्रिवेंद्र रावत से रिश्ते बहुत मधुर नहीं बताए जा रहे। नतीजतन,चुनाव में इनकी उदासीनता की कीमत भाजपा को भारी पड़ सकती है। पार्टी को इस सीट पर भितरघात का भी अंदेशा है। मंत्री, विधायक व सांसद की परफॉर्मेंस का आंकलन भी मतदाताओं के रुख पर विशेष असर डालेगा।
पौड़ी में गणेश गोदियाल ने किया आक्रामक प्रचार
पौड़ी लोकसभा में कांग्रेस के गणेश गोदियाल ने अपने आक्रामक रवैये से भाजपा को चिंता में अवश्य डाल दिया है। इस सीट पर भाजपा ने पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत का टिकट काटकर राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी को प्रत्याशी बनाया।
अकेले दम पर चुनाव लड़ रहे गोदियाल को हराने के लिए पीएम मोदी, अमित शाह, नड्डा, योगी, राजनाथ सिंह,स्मृति ईरानी, जनरल वी के सिंह पौड़ी लोकसभा में चुनावी सभाएं कर चुके हैं। जबकि सीएम पुष्कर धामी समेत अन्य बड़े प्रदेश स्तरीय नेताओं के हेलीकॉप्टर रोज पौड़ी लोकसभा में उतर रहे हैं।
बहरहाल, अकेले ही भाजपा के स्टार प्रचारकों से जूझ रहे गणेश गोदियाल ने अंकिता भंडारी, अग्निवीर, ओल्ड पेंशन बहाली, जोशीमठ आपदा,महंगाई,बेरोजगारी,गोद लिए गांव की दुर्दशा,पैराशूट प्रत्याशी, समेत अन्य मुद्दे उठाकर भाजपा को गहरे संकट में डाल दिया है। गोदियाल के नामांकन के दौरान पौड़ी में उमड़े जनसैलाब ने भाजपा को हिलाकर रख दिया था। उधर, भाजपा प्रत्याशी अनिल बलूनी पीएम मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने व विकास की अपील के साथ वोट मांग रहे हैं। इस लोकसभा सीट पर 2019 में तीरथ सिंह रावत 67 प्रतिशत मत लेकर रिकार्ड बनाया था। भाजपा के लिए इस रिकॉर्ड को बरकरार रखना विशेष चुनौती मानी जा रही है।
टिहरी सीट पर निर्दलीय बॉबी पंवार की गूंज से भाजपाई सन्न
इस सीट पर चुनावी परिणाम किसी भी दिशा में जाय लेकिन बेरोजगार संघ के अध्यक्ष व निर्दलीय प्रत्याशी बॉबी पंवार की गूंज प्रदेश की सरहद से बाहर निकल कर देश भर में सुनाई दे रही है। बॉबी पंवार की रैलियों में उमड़ी भीड़ व भाजपा प्रत्याशी माला राजलक्ष्मी के जनविरोध के बाद इस सीट पर चुनावी जंग दिलचस्प मोड़ पर है। 2014 व 2019 में राजलक्ष्मी इस सीट से चुनाव जीती थी। लेकिन जनता से बहुत कम जुड़ाव की वजह से उन्हें सत्ता विरोधी रुझान का तीखा विरोध झेलना पड़ रहा है। उधर, कांग्रेस उम्मीदवार व पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला अपनी विनम्रता व सादगी की वजह से मुकाबले में मजबूती से खड़े दिखाई दे रहे हैं। युवाओं की मजबूत टीम के साथ उतरे बॉबी पंवार मतों का एक बड़ा हिस्सा झटकते हैं तो त्रिकोणीय मुकाबले में कांग्रेस को भी चुनावी लाभ मिल सकता है।
बहरहाल, 19 अप्रैल मतदान से ठीक पहले इस बार गढ़वाल की हरिद्वार,पौड़ी व टिहरी सीट पर माहौल बदला बदला सा नजर आ रहा है। भाजपा के बड़े दिग्गज भी अंदरूनी बातचीत में मान रहे हैं कि 2024 की चुनावी महाभारत 2019 की तरह आसान नहीं है। पुराने जीत के बड़े रिकॉर्ड के बावजूद कांग्रेस ने कंपन पैदा कर दिया है।