उत्तराखण्ड पूर्व विधायक संगठन ने मुख्यमंत्री से सुझावों पर अमल करने की मांग की

देहरादून। उत्तराखण्ड पूर्व विधायक संगठन कर विगत दिनों के देहरादून विधानसभा भवन में संपन्न प्रथम राज्य सम्मेलन में पूर्व विधायकों ने प्रदेश हित में अनेक सुझाव दिए। संगठन ने ये सभी सुझाव मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भेजकर इन पर अमल करने की मांग की।
मंगलवार को उत्तरांचल प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में मुख्यमंत्री को भेजे गए सुझावों की जानकारी देते हए संगठन के पदाधिकारियों ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य के अस्तित्व में आने के बाद सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारियों को विभिन्न आयोगों, सार्वजनिक निगमों, प्राधिकरणों में पुनर्नियुक्ति देने की परम्परा सी बन गई है, जिससे अधिकारी कभी भी सेवानिवृत नहीं हो पा रहे हैं। प्रदेश हित में यह परम्परा समाप्त हो और लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत पूर्व जनप्रतिनिधियों को समाहित किया जाए।
सरकारी, अर्द्धसरकारी, निजी संस्थानों में रिक्त पदों पर ऑउटसोर्स एजेन्सियों को बिचैलिया बनाकर नियुक्तियों दी जा रही है, जिससे नियुक्ति पाने वाले युवाओं को मिलने वाले वेतन का अधिकतर हिस्सा आउटसोर्स एजेन्सी (बिचैलिया) डकार जाती है। यह परंपरा समाप्त कर सीधी भर्ती की न्यायसंगत व्यवस्था अपनाई जाए।

राज्य में घटित होने वाली दैवीय आपदा के प्रभावितों का टिहरी बांध की पुर्नवास नीति के तहत विस्थापन/पुर्नवास किया जाए। दस वर्ष पूर्व केन्द्र सरकार द्वारा अग्निकांड जैसी आपदाओं को दैवीय आपदा परिधि से पृथक कर दिया गया था जिस कारण अग्निकांड पीडित दैवीय आपदा मानकानुसार सहायता से वंचित हैं, इसलिए अग्निकांड पीड़ितों को भी पूर्व की भांति दैवीय आपदा परिधि में सम्मिलित कर समुचित राहत सहायता प्रदान किये जाने हेतु शासनादेश जारी किया जाए।
विभिन्न भर्ती आयोगों/एजेन्सियों की भर्ती प्रक्रिया को सुदृढ़ एवं पारदर्शी बनाया जाए व विभिन्न भर्तियों में अनियमितताएं धांधली करने वाले दोषियों को दंडित करने की प्रक्रिया में तीव्रता लाई जाए।

सन् 1895 के प्राविधानों के अंतर्गत आवंटित भूमि पट्टा धारकों अन्य भूमि पट्टा धारकों तथा कब्जाधारकों (अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य सामान्य जाति) के भूमि पट्टों को राजस्व अभिलेख दर्ज कर मालिकाना हक प्रदान किया जाए।
हिमाचल की भांति उत्तराखण्ड में भी सख्त भू-कानून लागू किया जाए। स्थायी निवास की बाध्यता समाप्त कर पूर्व की भांति मूल प्रमाण पत्र को व्यवस्था लागू की जाए।युवाओं के कौशल विकास को प्रोत्साहन दिये जाने हेतु बंद कर दिये गये औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों एवं प्राविधिक संस्थानों को सभी ट्रेडो सहित पुर्नस्थापित किया जाए।

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पलायन रोकने हेतु सौर ऊर्जा संयंत्रों, लघु जलविद्युत परियोजनाओं, भेड़ पशुपालन, पर्यटन/तीर्थाटनए कृषि एवं उद्यानिकी को बढ़ावा देने हेतु प्रभावी नीति लागू की जाए। प्रदेश में चकबन्दी लागू की जाए ताकि किसान समय श्रम से बचे तथा किसानों को सरकारी योजनाओं का समुचित लाभ प्राप्त हो सके। जंगली जानवरों से फसलों की सुरक्षा हेतु गांव स्तर पर प्रभावी उपाय किये जाएं। विभिन्न सरकारी, अर्द्धसरकारी, गैर सरकारी विभागोंध् संस्थानोंध्उद्योगों में विभिन्न पदों पर भर्ती हेतु आरक्षण की व्यवस्था अपनाई जाए। प्रदेश में गन्ना किसानों का लम्बित भुगतान शीघ्र किया जाए तथा प्रतिवर्ष भुगतान हेतु नियत समय सुनिश्चित किया जाए।
पत्रकार वार्ता में संरक्षक केदार सिंह रावत, अध्यक्ष लाखीराम जोशी, सचिव भीमलाल आर्य, ज्ञानचंद और देशराज कर्णवाल मौजूद थे।

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