उत्तराखंड

UCC: Live in relationship को लेकर यह है प्रावधान, पढ़े

लिव इन रिलेशनशिप में सिर्फ एक व्यस्क पुरुष व वयस्क महिला ही लिव इन रिलेशनशिप में रह सकेंगे साथ ही युगल को रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा।

उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा यूनिफार्म सिविल कोर्ड बिल पेश किया गया है। यूसीसी बिल में शामिल सभी महत्वपूर्ण बातों को जानना आपके लिए काफी फायदेमंद होंगी। बिल में शामिल सभी महत्वपूर्ण तथ्य है। वहीं बिल में शामिल लिव इन रिलेशनशिप के बारे में जानना आजकल की युवा पीढ़ी के लिए भी जरूरी है। तो आपको बताते है यूसीसी बिल में Live in relationship को लेकर बनाएं गए प्रावधानों को –

इन दिनों युवाओं में लिव इन रिलेशनशिप का चलन बढ़ता ही जा रहा है। यह बात भी सही है की अपने पार्टनर को समझना और चुनना सबका हक़ है जिसको लेकर कई बार युवा लिव इन रिलेशनशिप का रास्ता अपनाते है। सर्वोच्च न्यायालय ने लिव-इन सम्बंधों के समर्थन में भी फैसला सुनते हुए कहा था कि यदि दो युगल लम्बे समय तक साथ रहते है तो उनको शादी-शुदा ही माना जाएगा। लेकिन कई बार इसके गंभीर परिमाण भी भुगतने पड़ते है। जिसको लेकर सीएम धामी ने UCC पर इसके लिए प्रावधान किए है।

क्या होता है लिव-इन रिलेशनशिप

पश्चिमी देशों में लिव-इन रिलेशनशिप का प्रचलन बहुत आम हो चूका है। लिव-इन रिलेशनशिप एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें दो लोग जिनका विवाह तो नहीं हुआ होता लेकिन वह दोनों साथ में एक पति-पत्नी की तरह ही रहते है। उनके बीच में बनने वाले सभी संबंध भी पति-पत्नी के संबंध वाले ही मने जाते है। लिव-इन रिलेशनशिप में रह कर सम्बन्ध कई बार लम्बे समय तक चल सकते हैं या फिर स्थाई भी हो सकते हैं।

लिव-इन रिलेशनशिप के लाभ

अक्सर लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले प्रेमी जोड़े को एक-दूसरे को समझने परखने के लिए एक अच्छा समय मिल जाता है। शादी के बाद वह एक दूसरे की भावनाओं समझ पते है या नहीं इसको जानने का यह बेहतर तरीका भी माना जा सकता है।

लिव-इन में रहने वाले जोड़े अक्सर आर्थिक रूप से स्वतंत्र होते है। इसलिए वह किसी पर भी निर्भर न रहकर खुद ही अपने बारे में अच्छा -बुरा सोचने को के लिए भी स्वतंत्र है।

लिव-इन रिलेशनशिप में किसी भी प्रकार की वैवाहिक जीवन की जवाबदारी शामिल नहीं होती है।

लिव-इन में दोनों ही पक्ष एक-दूसरे का सम्मान करते है। एक दूसरे पर अपने अपने विचारों को थोपने का प्रयास नहीं किया जाता।

लिव-इन रिलेशनशिप की असुविधाएँ

अक्सर लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले युगल को समाज सही नज़र से नहीं देखता। वह ऐसी सभ्यता को पूरी तरह से अस्वीकृति और उनका तिरस्कार करता है।

एक तरह से लिव-इन रिलेशनशिप का सम्बंध का विवाह की तरह ज्यादा नहीं चलता और कभी कभी टिकाव न होने के कारण जल्दी टूट जाता है।

लिव-इन रिलेशनशिप के सम्बंध से पैदा होने वाले बच्चे पारम्परिक पारिवारिक मर्यादाओं को समझने और अपनाने में असमर्थ होते हैं।

UCC पर यह किए है प्रावधान

धामी सरकार ने प्रदेश में लिव इन रिलेशनशिप का वेब पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य किया है। यदि कोई भी युगल रजिस्ट्रेशन नहीं करता है तो उन को छह महीने का कारावास और 25 हजार का दंड या दोनों हो सकते हैं। रजिस्ट्रेशन के तौर पर जो रसीद युगल को मिलेगी उसी के आधार पर उन्हें किराए पर घर, हॉस्टल या पीजी मिल सकेगा। पंजीकरण कराने वाले युगल की सूचना रजिस्ट्रार को उनके माता-पिता या अभिभावक को देनी होगी।

इसके मुताबिक, सिर्फ एक व्यस्क पुरुष व वयस्क महिला ही लिव इन रिलेशनशिप में रह सकेंगे। वे पहले से विवाहित या किसी अन्य के साथ लिव इन रिलेशनशिप या प्रोहिबिटेड डिग्रीस ऑफ रिलेशनशिप में नहीं होने चाहिए।

लिव-इन के दौरान पैदा हुए बच्चों को उस युगल का जायज बच्चा ही माना जाएगा और उस बच्चे को जैविक संतान के समस्त अधिकार प्राप्त होंगे। लिव-इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को संबंध विच्छेद का पंजीकरण कराना भी अनिवार्य होगा।

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