बेरहम सरकार सोती रही, बेजुबान घोड़े- खच्चर तड़पकर तोड़ रहे दम रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से कि बात
देहरादून- हाई कोर्ट द्वारा सरकार पर चलाया गया जबरदस्त चाबुक सरकार की अदूरदर्शिता एवं नकारापन लील गया बेजुबानों की जिंदगी को ,कितने घोड़े- खच्चरों को लगाया गया एवं कितने चिकित्सक तैनात हैं, सरकार को कुछ नहीं मालूम विकासनगर- जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि केदारनाथ धाम दर्शन को उमड़े तीर्थ यात्रियों “आजकल पर्यटन बन चुका’ हेतु परिवहन का साधन बने सैकड़ों बेजुबान घोड़े- खच्चर अत्यधिक काम लिए जाने,अत्याधिक वजन ढोने एवं अन्य कई कारणों के चलते काल का ग्रास बन गए, लेकिन अदूरदर्शी, निकम्मी एवं अनुभवहीन सरकार सोती रही | नेगी ने कहा कि दो दिन पहले मा. उच्च न्यायालय ने किसी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इन बेजुबान घोड़े- खच्चरों की अकाल मौत, काम पर लगाए गए घोड़े -खच्चरों की संख्या, तैनात चिकित्सकों एवं अन्य व्यवस्थाओं को लेकर सरकार से सवाल पूछा तो सरकार बगले बगलें झांकने लगी | उक्त मामले में मा. न्यायालय द्वारा नोटिस जारी किया, उक्त नोटिस जारी होने के बाद सरकार के पास कहने को कुछ भी नहीं बचता, क्योंकि सरकार निर्दयता की सारी हदें पार कर चुकी है | सूत्र बताते हैं कि अन्य प्रदेश से आकर इस काम लगे लोगों ने इन बेजुबानों पर अत्याधिक कहर बरपा रखा है तथा ये लोग लालच में आकर कई- कई चक्कर इनसे लगवाते हैं | नेगी ने कहा कि जब इन बेजुबान पशुओं को न्याय दिलाने की बात आती है तो सरकार चुप्पी साधे रहती है, लेकिन माफियाओं के हितों को लेकर सरकार हमेशा सजग एवं चौकन्नी करनी रहती है| मोर्चा सरकार से मांग करता है कि इन बेजुबानों का इस्तेमाल अत्यधिक वृद्ध, निशक्तजन एवं बीमार व्यक्तियों के लिए ही हो, जिससे इन बेजुबानों पर अत्याचार रुक सके अथवा टोकन के माध्यम से एक दिन में सिर्फ एक चक्कर ही लगाने की अनुमति सरकार उनको दे |पत्रकार वार्ता में- दिलबाग सिंह व भीम सिंह बिष्ट मौजूद थे|