सीएम धामी की ‘फजीहत’ कराता सूचना विभाग

सरकार की उपलब्धियों का बखान करने, कल्याणकारी योजनाओं का प्रचार करने और खास कर मुख्यमंत्री की छवि चमकाने के लिए हर प्रदेश में एक ‘खास’ विभाग होता है।

सूचना एवं लोक संपर्क नाम के इस विभाग को आम बोलचाल में सूचना विभाग कहा जाता है। चौबीसों घंटे, बिना रुके, बिना थके, मुख्यमंत्री और सरकार की इमेज बिल्डिंग में तल्लीन रहने वाले इस विभाग की जिम्मेदारी संकटकाल में और ज्यादा बढ़ जाती है।

सरकार बहादुर के खिलाफ जब प्रजा में नाराजगी हो, उस वक्त तो सूचना विभाग का एक ही धर्म, एक ही कर्म और एक ही लक्ष्य होता है, सरकार और खासकर मुख्यमंत्री के खिलाफ बन रहे माहौल को डायल्यूट करना।

मुख्यमंत्री की जनसरोकारी छवि स्थापित करने के लिए ऐसे मौके पर सूचना विभाग इस तरह की खबरें प्रचारित-प्रसारित करवाता है, जिनसे लगता है कि प्रजा की नाराजगी दूर करने के लिए मुख्यमंत्री पूरे समर्पण के साथ लगे हैं।

संकट काल में सूचना विभाग मुख्यमंत्री द्वारा किए जाने वाले कामों पर विज्ञापनों के जरिए ऐसी ‘सुलेख श्रंखला’ प्रकाशित कराता है जो तमाम मीडिया संस्थानों के लिए खादपानी का इंतजाम भी करते हैं।

मगर मुख्यमंत्री का चेहरा चमकाने और बदले में ‘शाबाशी’ पाने की हड़बड़ी में अगर सूचना विभाग कुछ ऐसा कर दे, जिससे इमेज बनने के बजाय और बिगड़ जाए तो इस करामात को ‘दुर्लभ संयोग’ की तरह याद रखा जाना चाहिए।

उत्तराखंड के सूचना एवं लोक संपर्क विभाग ने भी आज अपनी एक करामात से ऐसा ही दुर्लभ संयोग बनाया है। बेरोजगार युवाओं के जबर्दस्त आंदोलन को लेकर सूचना विभाग ने आज एक ऐसी खबर प्रचारित कर दी जिसके बाद से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की जम कर फजीहत हो रही है।

दरअसल दो दिन से चल रहे बेरोजगारों के आंदोलन को लेकर आज सुबह सूचना एवं लोक संपर्क विभाग ने अपने फेसबुक अकांउट से एक सूचना और दो तस्वीरें पोस्ट की।

पहली तस्वीर में कुछ लोग मुस्कराते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को गुलदस्ता दे रहे थे। दूसरी तस्वीर में मुख्यमंत्री धामी उन लोगों के साथ बैठकर वार्ता करते दिख रहे थे।

तस्वीरों के साथ सूचना यह थी कि मुख्यमंत्री पुस्कर सिंह धामी के साथ आज उत्तराखंड बेरोजगार संघ के प्रतिनिधिमंडल ने वार्ता की। विभाग द्वारा पोस्ट की गई सूचना हूबहू अगली पंक्ति में दी जा रही है।

‘मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी से आज बेरोजगार संघ एवं पीसीएस मुख्य अभ्यर्थी संघ के प्रतिनिधिमण्डल ने वार्ता की। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार निष्पक्ष, नकल विहीन और पारदर्शी परीक्षा कराने हेतु प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा कि देश का सबसे कड़ा नकल विरोधी कानून उत्तराखण्ड राज्य में लागू हो गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि रविवार को होने वाली पटवारी/लेखपाल भर्ती परीक्षा को शांति पूर्ण, निष्पक्ष और नकल विहीन कराने के लिए समस्त तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं। अभ्यर्थियों को परीक्षा केन्द्र तक आने-जाने के लिए नि:शुल्क परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, डीजीपी श्री अशोक कुमार, सचिव श्री आर मीनाक्षी सुंदरम, श्री शैलेश बगोली, बेरोजगार संघ से श्री खजान सिंह राणा सहित पीसीएस मुख्य भर्ती परीक्षा अभ्यर्थी के सदस्य सुश्री निधि गोस्वामी, श्री शैलेश सती, श्री दीपक बेलवाल, श्री बृजमोहन जोशी, श्री सतपाल सिंह एवं श्री आलोक भट्ट मौजूद थे।

जैसे ही सूचना विभाग की इस पोस्ट की जानकारी उत्तराखंड बेरोजगार संघ तक पहुंची, संघ ने तत्काल इसका खंडन कर दिया। अपने आधिकारिक फेसबुक पेज से संघ ने लिखा, ‘उत्तराखंड बेरोजगार संघ का कोई भी डेलीगेशन सीएम से मिलने नहीं गया है।’ संघ ने यह भी लिखा कि अध्यक्ष बॉबी पंवार के नेतृत्व में ही डेलीगेशन मिलने जाएगा।

इतना ही नहीं, बेरोजगार संघ ने सूचना विभाग द्वारा डाली गई तस्वीर में मौजूद एक व्यक्ति खजान सिंह राणा का एक वीडियो भी जारी किया जिसमें उन्होंने कहा कि वे और अन्य लोग मुख्यमंत्री से मिलने उत्तराखंड बेरोजगार संगठन के प्रतिनिधिमंडल के रूप में नहीं बल्कि व्यक्तिगत तौर पर गए थे।

इस तरह उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने साफ कर दिया कि मुख्यमंत्री के साथ उनकी कोई वार्ता नहीं हुई है, जिसके बाद सूचना विभाग द्वारा की गई पोस्ट पर न केवल सवाल उठने लगे बल्कि मुख्यमंत्री धामी की भी फजीहत हो गई।

सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में लोगों ने सूचना विभाग की इस करामात पर सवाल उठाए और मुख्यमंत्री धामी पर निशाना साधा।

ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि सूचना विभाग ने मुख्यमंत्री धामी और बेरोजगार युवाओं की मुलाकात को लेकर इतना बड़ा झूठ आखिर क्यों कहा ?

क्या सूचना विभाग की जिम्मेदारी संभालने वाले अफसरों को यह भान नहीं था कि उनकी इस हरकत से न केवल मुख्यमंत्री धामी की फजीहत होगी बल्कि बेरोजगार युवाओं का आक्रोश भी बढ़ेगा !

सूचना विभाग के अफसरों को क्या इतनी भी समझ नहीं है कि इस तरह की भ्रामक खबरें प्लांट करने से सरकार की इमेज बनने के बजाय और भी बिगड़ जाती है !

सूचना विभाग की कारस्तानी के बाद जिस तरह लोग सरकार और खासकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर निशाना साथ रहे हैं, उससे यह खुद ही सिद्ध हो गया है।

बहरहाल सवाल यह है कि ऐसा दुर्लभ कारनामा करने वाले अफसरों को इसके बदले में क्या ‘इनाम’ मिलेगा ?

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