पहली बारिश ने बढ़ाई लोगों कि दिक्कत, मौन में प्रशासन

चमोली थराली – गांव के ग्रामीणों को मात्र 3 सौ मीटर की दूरी पर स्थित मोटर सड़क पर पहुंचने के लिए या तों ट्राली का सहारा लेना होगा अथवा 5 से 6 किमी की पैदल दूरी तैय करने पड़नी पड़ेगी। आखिर कब तक हर बरसा में इन गांवों के ग्रामीणों को इस तरह की समस्या से दो-चार होना पड़ेगा किसी को कुछ पता नही हैं। दरअसल 2013 में उत्तराखंड में आये जलप्रलय का खामियाजा पिंडर क्षेत्र के देवाल विकासखंड के लोगों को भी इस क्षेत्र से बहने वाली पिंडर एवं कैल नदी के कारण भुगतान पड़ा था।इस दौरान इस क्षेत्र में हरमल,बोरागाढ़,ओडर,घेस का सुपलीगाड़ झूला पुल इन नदियों की भेंट चढ़ गए थे। पुलों के बहने के बाद आज तक केवल बोरागाढ़ में नए पुल का निर्माण हो पाया है बाकी स्थानों पर आज तक पुलों का नव निर्माण नही हो पाया है। इन्ही में ओड़र गांव का पुल भी सम्लित हैं।..यहां पर लोनिवि थराली ने बरसात में लोगों की आवाजाही के लिए एक इंजन चालित ट्राली स्थापित की हैं। किंतु तकनीकी खराबी एवं ट्राली में बैठ कर नदी आर-पार करने से डरने वाले लोगों को मात्र 300 मीटर की दूरी पर स्थित देवाल-सुयालकोट मोटर सड़क तक पहुंचाने के लिए 5 से 6 किमी पैदल चल कर सड़क तक पहुंचने पर मजबूर होना पड़ रहा हैं।

ओडर के क्षेत्र पंचायत सदस्य पान सिंह गड़िया ने बताया कि 2020 में 125 मीटर ओड़र झूला पुल के निर्माण की राज्य योजना में सैद्धांतिक स्वीकृति शासन ने जारी कर दी थी। उसके बाद लोनिवि थराली के द्वारा 2021 में 717.46 लाख का विस्तारित आगमन तैयार कर स्वीकृति के लिए सरकार को भेज दिया था।जिस पर आज तक अपेक्षित कार्रवाई नही हो पाई है। मंगलवार की रात को अचानक पिंडर नदी में जलस्तर अचानक बढ़ने के कारण ग्रामीणों के द्वारा पिंडर नदी में बनाया गया लकड़ियों का अस्थाई पुल एक बार फिर से बह गया है। जिसके बाद ओड़र सहित आसपास के गांवों के ग्रामीणों में मायूसी छा गई हैं। अस्थाई पुल के बह जाने के बाद अब कई ग्रामीण क्षेत्र के अन्य गांवों में आसानी के साथ आ जा नही पाएंगे। हालांकि लोनिवि थराली के अधिशासी अभियंता अजय काला ने बताया कि यहां पर स्थापित इंजन ट्राली को शुरू कर दिया गया हैं। बताया कि ओड़र पुल के नव निर्माण का आंगणन शासन स्तर पर लंबित पड़ा हुआ है स्वीकृति मिलते ही निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

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