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केंद्र सरकार ने 18-22 सितंबर को बुलाया संसद का ‘विशेष सत्र’ 

केंद्र सरकार ने 18-22 सितंबर को संसद का विशेष सत्र बुलाने की घोषणा की है । केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने गुरुवार को एक्स पर इसको लेकर एक बयान जारी किया ।

केंद्र सरकार ने 18-22 सितंबर को संसद का विशेष सत्र बुलाने की घोषणा की है । केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने गुरुवार (31 अगस्त) को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर इसको लेकर एक बयान  जारी किया । केंद्रीय मंत्री जोशी ने कहा कि विशेष सत्र पाँच दिनों का होगा । मंत्री प्रल्हाद जोशी ने आशा व्यक्त करते हुए कहा, “अमृत काल के बीच, संसद में सार्थक चर्चा और बहस होने की उम्मीद है।”

हालाँकि, सरकार ने इस विशेष सत्र को बुलाने के पीछे के एजेंडे या कारणों के बारे में कोई विशेष जानकारी नहीं दी है। सत्र के एजेंडे को लेकर विपक्ष में अभी तक असमंजस की स्थिति है ।

हाल ही में हुआ था पिछला मानसून सत्र

संसद का पिछला मानसून सत्र हाल ही में 20 जुलाई से 11 अगस्त 2023 के बीच सम्पन्न हुआ था । सत्र के दौरान  भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और विपक्षी भारतीय राष्ट्रीय विकास समावेशी गठबंधन (I.N.D.I.A) गठबंधन के बीच मणिपुर के मुद्दे को लेकर तीखी नोकझोंक देखने को मिली थी । पूरे सत्र में प्राथमिक मुद्दा मणिपुर में जातीय हिंसा के आसपास घूमता रहा था । इसके अतिरिक्त, I.N.D.I.A ने मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी पेश किया था, जो अंततः सत्र के आखिरी दिन गिर गया जिसके बाद विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन के दौरान लोकसभा से वॉकआउट कर दिया था ।

विशेष सत्र की घोषणा पर विपक्ष की मिश्रित प्रतिक्रियाएँ

विशेष सत्र की घोषणा को लेकर विपक्ष की तरफ से मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है । राज्यसभा सांसद और शिव सेना (यूबीटी) नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने निराशा व्यक्त करते हुए एक्स पर लिखा , “ भारत के सबसे महत्वपूर्ण त्योहार गणेश चतुर्थी के दौरान बुलाया गया यह विशेष सत्र दुर्भाग्यपूर्ण है और हिंदू भावनाओं के खिलाफ है। सत्र की तारीखों के चयन पर आश्चर्य हुआ ! “

वही टीएमसी सांसद साकेत गोखले ने कहा कि संसद का विशेष सत्र बुलाने का फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि I.N.D.I.A गठबंधन की पार्टियों ने प्रधानमंत्री को परेशान कर दिया हैं।

सरकारी सूत्रों ने संकेत दिया है कि सत्र के एजेंडे में अमृत काल समारोह और भारत को ‘विकसित राष्ट्र’ के रूप में स्थापित करने को लेकर चर्चा हो सकती है, हालाँकि सरकार की तरफ  से किसी भी महत्वपूर्ण विधायी विधेयक पर चर्चा का संकेत नहीं दिया गया है। ऐसी अटकलें हैं कि सरकार इस विशेष सत्र के दौरान “ एक देश एक चुनाव “ पर विधेयक ला सकती है । गौरतलब है की इस साल के आखिर में पाँच राज्यों में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है ।

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