रक्षाबंधन पर विशेष : इतिहास की कुछ ऐसी कहानियां जो बनाती हैं रक्षाबंधन को विशेष त्यौहार

आज रक्षाबंधन का पर्व है भाई-बहन के इस पवित्र पर्व की सराहना न सिर्फ भारत अपितु पूरी दुनिया करती है | भारत के अलावा शायद ही ऐसा कोई देश होगा जिसमें भाई-बहन को समर्पित कोई विशेष दिन है | तो आज इस पवित्र पर्व पर हम आपको प्राचीन इतिहास और मध्यकालीन इतिहास से जुडी कुछ कथाएँ सुनाएंगे जिसमें न सिर्फ भारत बल्कि विदेशी आक्रमणकारियों का भी वर्णन मिलता है |

राजा बलि और मां लक्ष्मी की कथा-

राजा बलि भगवान विष्णु किए बहुत बड़े भक्त थे और जब राजा बलि के आग्रह पर भगवान विष्णु पातळ लोक जाने के लिए तैयार हो गये तब  मां लक्ष्मी चिन्तित हो गई और एक गरीब महिला बनकर राजा बलि को राखी बाँधी राजा बलि ने भी राखी का सम्मान करते हुए कहा की मेरे पास आपको देने के लिए कुछ नहीं है लेकिन फिर भी आप मांगिये | इसपर मां लक्ष्मी ने देवी रूप धारण किया और कहा की आपके पास तो साक्षात् भगवान विष्णु हैं में उन्हें ही लेने आई हूँ | राजा बलि मना न कर सके और भगवान विष्णु को मां लक्ष्मी को सौंप दिया |

महाभारत में भी रक्षासूत्र का उल्लेख-

महाभारत में भी रक्षा बंधन का उल्लेख मिलता है इसके अनुसार जब भगवान कृष्ण ने शिशुपाल का गला उसके तन से जुदा क्र दिया था तब सुरदर्शन चक्र से उनकी ऊँगली कट गई और फिर द्रौपदी ने साडी का पल्लू फाड़कर माधव की ऊँगली पर बांधा, तब कृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया कि वे हर कठिन समय में द्रौपदी की रक्षा करेंगे और हुआ यही ! द्रौपदी के चीरहरण के समय भगवान कृष्ण ने ही उनकी लाज बचाई थी |

सिकंदर-पुरु युद्ध में भी रक्षासूत्र का जिक्र-

कहा जाता है की जब सिकंदर पौरव राष्ट्र पर आक्रमण करने वाला था और राजा पुरु का युद्ध सिकंदर से होने वाला था, राजा पुरु अत्यंत शक्तिशाली राजा थे इस बात से सिकंदर भी बेखबर नहीं था | तब सिकंदर की पत्नी को भारत में रक्षा बंधन पर्व के बारे में पता चला और उन्होंने राजा पुरु को राखी भिजवाई, हालाँकि सिकंदर शत्रु था लेकिन फिर भी उन्होंने राखी का सम्मान किया | युद्ध के दौरान जब उन्होंने सिकंदर पर तलवार उठाई तो हाथ में बंधा रक्षासूत्र देखकर रुक गये और फिर बंदी बना लिए गये, सिकंदर ने भी राजा पुरु की भावनाओं का सम्मान करते हुए उन्हें उनका साम्राज्य लौटा दिया |

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