तो, उत्तराखंड में 2014 से पूर्व के शहीद आश्रितों को नहीं मिलेगें 10 लाख रुपये ! अध्यादेश लाने की तैयारी में सरकार
उत्तराखंड सरकार वर्ष 2014 से पहले शहीद हुए सैनिकों के परिजनों को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता राशि नहीं देने के लिए अध्यादेश लाने की तैयारी में है। फिलहाल इस मामले में हाईकोर्ट के फैसले पर राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिला हुआ है।
सूत्रों के मुताबिक वित्तीय भार के चलते सरकार 2014 से पहले से शहीद सैनिकों के आश्रितों को आर्थिक मदद न देने के लिए अध्यादेश का सहारा ले रही है।
दरअसल 5 मार्च 2014 को तत्कालीन राज्य सरकार ने देश के लिए शहीद होने वाले सैनिकों के परिजनों के लिए 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का निर्णय लिया था।
शासनादेश में कहा गया था कि यह आदेश मार्च 2014 के बाद शहीद हुए सैनकों के परिजनों पर लागू होगा।
आदेश के मुताबिक शहीद की पत्नी को 60 प्रतिशत और माता-पिता को 40 प्रतिशत सहायता राशि दिए जाने का प्रावधान था। माता-पिता के जीवित न होने की स्थिति में पूरी धनराशि पत्नी को दिए जाने का प्रावधान रखा गया।
जानकारी के मुताबिक साल 2021 में इस शासनेदेश को लेकर एक्ट भी बना, लेकिन इस बीच कुछ शहीदों के आश्रितों ने 2014 से पहले शहीद हुए सैनिकों के परिजनों को भी यह आर्थिक सहायता देने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर कर दी।
हाईकोर्ट ने उनकी याचिका स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को 2014 से पहले शहीद हुए सैनिकों के परिजनों को भी 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने के निर्देश दिए। सरकार ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में विशेष याचिका दाखिल की मगर वहां से राहत नहीं मिलने पर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई और स्टे ले लिया।
बताया जा रहा है कि अब इसी मामले में सरकार अध्यादेश लाने की तैयारी में है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में आगामी 23 व 24 फरवरी को सुनवाई होगी।
सैनिक कल्याण विभाग के अधिकारियों के मुताबिक राज्यगठन के बाद से अब तक राज्य के 267 सैनिक देशसेवा में शहीद हुए हैं। राज्य गठन से पूर्व शहीद होने वाले सैनिकों की संख्या 1756 है।
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