वैज्ञानिकों ने की केदारनाथ धाम में निर्माण कार्यों पर रोक लगाने की शिफारिश

विशेषज्ञ भू-विज्ञानियों की टीम ने केदारनाथ मंदिर के उत्तरी क्षेत्र में हो रहे निर्माण कार्यों पर तत्काल रोक की सिफारिश की है। हाल ही में केदारनाथ में हुई हिमस्खलन की घटनाओं के बाद केदारघाटी का निरीक्षण करने गई विशेषज्ञ टीम ने अपनी रिपोर्ट में यह सिफारिश की है।

इस टीम में उत्तराखंड स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. पीयूष रौतेला, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के दो वैज्ञानिक डॉ. मनीष मेहता और डॉ. विनीत कुमार तथा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग के दो वैज्ञानिक डॉ. सीएम भट्ट और डॉ. प्रतिमा पांडेय शामिल थे।

गौरतलब है कि बीते दो महीने के भीतर केदारनाथ धाम के ऊपरी क्षेत्र में हिमस्खलन की तीन घटनाएं हुईं, जिसके बाद सरकार ने पांच विशेषज्ञ वैज्ञानिकों की एक टीम बनाई।

विशेषज्ञ टीम ने इस महीने की शुरुआत में केदारनाथ धाम के ऊपरी क्षेत्रों में हवाई और स्थलीय सर्वेक्षण किया, जिसके बाद टीम ने सरकार को रिपोर्ट सौंपी है।

टीम ने अपनी रिपोर्ट में पाया कि केदारनाथ मंदिर से करीब पांच से छह किलोमीटर ऊपर स्थित चौराबाड़ी ग्लेशियर के साथ वाले ग्लेशियर में हिमस्खलन की घटना हुई है।

4.5 किमी क्षेत्रफल में फैला उक्त ग्लेशियर 3.5 किमी तक चौराबाड़ी ग्लेशियर से लगा है। वैज्ञानिकों की टीम ने यह भी पाया कि बीते महीने (सितंबर) इस क्षेत्र में भारी बर्फबारी हुई।

हिमस्खलन की बढती घटनाओं को देखते हुए विशेषज्ञ टीम ने संभावित नुकसान से बचने के लिए निर्माण कार्यों पर तत्काल रोक लगाने के साथ ही और भी सुझाव दिए हैं।

टीम ने सुझाव दिया है कि केदारनाथ मंदिर के उत्तरी ढलान के साथ-साथ अलग-अलग ऊंचाई पर बेंचिंग की जाए, ताकि ढलानों की तीव्रता कम हो सके। इसके साथ ही ढलानों पर कंक्रीट के अवरोधक लगाने की भी शिफारिश की गई है।

केदारनाथ मंदिर के उत्तरी क्षेत्र में रेत के टीले बनाने का सुझाव भी टीम ने दिया है। इसके साथ ही जागरूकता बढाने और अफवाहों पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम उठाने की बातस भी कही है।

वैज्ञानिकों की टीम ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि बीते एक दशक में उत्तराखंड के उच्च पर्वतीय क्षेत्रों का हिमस्खलन की घटनाओं के चलते 100 से अधिक लोगों की जान गई है।

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