लव जिहाद और धर्मान्तरण को लेकर आरएसएस चलाएगी धर्म जागरण अभियान

देहरादून: सात दिवसीय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कोर ग्रुप की चिंतन बैठक में देश में बढ़ते धर्मांतरण और लव जिहाद के मामलों पर चिंता व्यक्त की है। वहीं कोरोना काल के चलते बीते दो वर्ष के दौरान संघ की गतिविधियां सीमित हो गई थीं। बैठक में निर्णय लिया गया की अब संघ एक बार फिर धर्म जागरण के अपने महत्वपूर्ण एजेंडे पर ध्यान केंद्रित करेगा। रायवाला स्थित औरावैली आश्रम के विश्व मंदिर में शनिवार को आरएसएस की राष्ट्रीय चिंतन बैठक में धर्मांतरण और लव जिहाद का मुद्दा गंभीरता से उठाया गया। कोर ग्रुप के सदस्यों का कहना था कि कोरोना काल के दौरान धर्मांतरण और लव जिहाद के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि खासकर पिछड़ी और मलिन बस्तियां धर्म परिवर्तन रैकेट के निशाने पर हैं। उनका कहना है कि ऐसे लोगों को बेहला फुसला कर और लालच देकर उनका धर्म परिवर्तन किया जा रहा है। कोर ग्रुप के सदस्यों ने कहा कि लव जिहाद भी आज के दौर का एक बड़ा गंभीर मुद्दा है। धार्मिक पहचान छिपाकर प्रेम जाल में फंसाने के बाद धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया जाता है। नाबालिग बच्चियां भी लव जिहाद का शिकार बन रही हैं। और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को माध्यम बनाकर लव जिहाद को फैलाने का काम किया जा रहा है। आतंकवाद की तरह लव जिहाद की भी फंडिंग की जा रही है। कोर ग्रुप के सदस्यों ने कहा कि किसी भी तरीके से किसी धर्म के लोगों की संख्या बढ़ाना, धोखाधड़ी या ऐसे अन्य तरीकों को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। पूरे देश में धर्मांतरण कानून लागू होने के बाद ही धर्म परिवर्तन और लव जिहाद पर अंकुश लगाया जा सकता है। बैठक के दौरान संघ के कोर ग्रुप ने देशभर में पिछड़ी और मलिन बस्तियों में बड़े स्तर पर धर्म जागरण अभियान शुरू करने का निर्णय लिया। इस धर्म जागरण का प्रसारण करने के लिए वैचारिक सहयोगियों की भी मदद ली जाएगी। बैठक में संघ कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, सह कार्यवाह मनमोहन वैद्य, मुकंद, अरुण कुमार, रामदत्त चक्रधर, शारीरिक प्रमुख सुनील कुलकर्णी, बौद्धिक प्रमुख स्वांत रंजन, व्यवस्था प्रमुख मंगेश भिंड, प्रचार प्रमुख सुरेश चंद, प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर, प्रचारक प्रमुख सुरेश चंद, सेवा प्रमुख पराग अभ्यंकर, सुरेश जोशी भैया जी, कृष्णगोपाल, इंद्रेश कुमार, राम माधव, जे नंद कुमार, रामलाल जी, बीएल संतोष और मिलिंद मराठे आदि उपस्थित रहे।
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