देहरादून : उत्तराखंड के लिए ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का प्रोजेक्ट काफी अहम है। यह रेल परियोजना बदरी-केदारनाथ यात्रा का स्वरूप बदल देगी। इस परियोजना की सहायता से केदारनाथ, बदरीनाथ आने वाले तीर्थयात्रियों का समय बचेगा, बल्कि उनका खर्च भी कम होगा। परियोजना को 2025 के दिसंबर तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
इस परियोजना से केदारनाथ, बदरीनाथ तक तीर्थयात्रियों का पहुंचना और भी आसान हो जाएगा। यह रेल लाइन उत्तराखंड के पांच जिलों यानी देहरादून, टिहरी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग और चमोली को जोड़ने वाली एक अहम कड़ी साबित होगी। इस रेल परियोजना के पूरे होने के बाद ऋषिकेश से कर्णप्रयाग महज दो घंटे में पहुंच सकेंगे।
कर्णप्रयाग से बदरीनाथ धाम का सफर फिलहाल करीब साढ़े चार घंटे का है। इस परियोजना के पुरे होने से यह भी घटकर दो घंटे का रह जाएगा। जिसके बाद ऋषिकेश से बद्रीनाथ केवल चार घंटे में पहुंचा जा सकेगा। अभी ऋषिकेश से बदरीनाथ यात्रा में करीब 11 घंटे लग जाते हैं।
उत्तराखंड में 16216 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हो रही ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना पर पूरे प्रदेश की नजर टिकी हुई है। इस परियोजना के पूरा होने से पर्वतीय जिलों में विकास की बहार बहने की उम्मीद है। 125 किलोमीटर लंबी इस रेल परियोजना में 105 किलोमीटर रेल लाइन 17 सुरंगों के भीतर से गुजरेगी।
इस परियोजना के निर्माण के लिए रेल विकास निगम नौ पैकेज और 54 फेज में काम को बांटा गया है। इन सभी पैकेजों में रेल टनल, एडिट टनल, रेल ब्रिज तथा रोड ब्रिज के कार्यों को अंजाम दिया जा रहा है। इन नौ पैकेज में 80 फेज में काम किया जा रहा है। देश में अब तक की सबसे लंबी (14.08 किमी) रेल सुरंग भी इसी परियोजना पर तैयार हो रही है। देवप्रयाग (सौड़) से जनासू तक यह रेल सुरंग डबल ट्यूब टनल (आने-जाने के लिए अलग-अलग सुरंग) होगी।