ऊर्जा विभाग में बंट रही एक्सटेंशन की ‘रेवड़ियां’
देश में राष्ट्रीय और राज्यों के स्तर पर तरक्की के विभिन्न मानकों का डेटाबेस उपलब्ध कराने वाली संस्था ‘सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी’ (सीएमआईई) ने रोजगार को लेकर हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड में बेरोजगारी की दर लगातार बढ़ती जा रही है।
रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि उत्तराखंड में इस साल नवंबर से लेकर दिसंबर तक बेरोजगारी दर में तीन फीसदी की बढोतरी हुई है। कुल मिलाकर रिपोर्ट का मजमून यह बताता है कि राज्य सरकार युवाओं को रोजगार दिलाने की दिशा में खरी नहीं उतर पा रही है।
मगर वहीं दूसरी तरफ रिटायरमेंट की देहरी पर पहुंच चुके ‘साहबों’ को एक्सटेंशन यानी सेवा विस्तार दिए जाने की बात करें तो, ऐसा लगता है मानो विभागों के बीच इसकी जबर्दस्त प्रतिस्पर्धा चल रही है।
एक विभाग से रिटायर होने वाले किसी अफसर को एक्सटेंशन दिए जाने को आदेश पर जब तक बड़े साहब के दस्तखत होते हैं कि दूसरे विभाग से इसी तरह किसी दूसरे अफसर को सेवा विस्तार दिए जाने की खबर सामने आ जाती है।
राज्य बनने के बाद से ही शुरू हो चुकी अफसरों को रिटायरमेंट से ठीक पहले सेवा विस्तार देकर ‘पुरस्कृत’ करने की यह परिपाटी 22 साल बाद भी बदस्तूर जारी है।
हाल ही में उत्तराखंड पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड (UPCL) में प्रभारी निदेशक, परिचालन (डायरेक्टर ऑपरेशन) के पद पर कार्यरत मदनलाल प्रसाद को मिला एक साल का कार्य विस्तार इस परिपाटी का ताजा प्रमाण है।
रिटायरमेंट से ठीक दो दिन पहले 30 दिसंबर 2021 को शासन द्वारा उन्हें एक वर्ष का सेवा विस्तार दे दिया गया। इस सेवा विस्तार को लेकर कई तरह के सवाल खड़े होना लाजमी है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर इतनी लंबी सेवा के बाद किसी अधिकारी को सेवा विस्तार दिए जाने के पीछे क्या मंशा है ?
इस बदलाव के बाद यूपीसीएल के साथ ही समूचे ऊर्जा महकमे को लेकर कई तरह की सुगबुगाहटें सुनाई दे रही हैं।
इसके अलावा सवाल यह भी है कि क्या यूपीसीएल में दूसरी पांत में कोई भी योग्य अफसर नहीं था, जो इस पद पर प्रमोशन पाने की काबिलियत रखता हो ?
जिस आदेश के जरिए प्रसाद को एक वर्ष का सेवा विस्तार दिया गया है, उसके मुताबिक उक्त निर्णय ‘विशेष परिस्थितयों’ में लिया गया है, जिसे भविष्य में किसी तरह की नजीर न माना जाए।
सवाल उठता है कि आखिर वह कौन सी ‘विषेश परिस्थितियां’ थी, जिनकी वजह से शासन को यह निर्णय लेना पड़ा ?
इस सबके बीच ध्यान देने वाली बात यह है कि यूपीसीएल में किसी महत्वपूर्ण पद पर तैनात अधिकारी को रिटायरमेंट से पहले सेवा विस्तार दिए जाने का यह कोई पहला मामला नहीं है।
इससे पहले भी एमडी पद से लेकर कई अन्य अहम पदों पर तैनात अधिकारियों को रिटायर होने के ठीक पहले सेवा विस्तार दिया जाता रहा है। पिछले साल जून में एक अन्य अधिकारी नवीन चंद्र गुप्ता को निदेशक वित्त के पद पर मिला दो साल का सेवा विस्तार भी तब काफी सुर्खियों में आया था। तब भी उस एक्सटेंशन को लेकर सवाल उठे थे।
इस बीच सूत्रों की माने तो पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन ऑफ उत्तराखण्ड लिमिटेड (पिटकुल) के प्रबंध निदेशक (एमडी) पद पर तैनात पीसी ध्यानी को भी ऊर्जा महकमें में बड़ा पद देने की अंदरखाने कवायद चल रही है ।
बहरहाल सवाल यह है कि प्रदेश में अधिकारियों को सेवानिवृत्त होने के बाद भी एक्सटेंशन देकर कुर्सियों पर बिठाए रखने की यह रीत राज्य के हित में है या केवल एक्सटेंशन पाने और दिलाने वालों के ?