अल्मोड़ा में 100 वर्षों में पहली बार नहीं जला रावण का पुतला

अल्मोड़ा: कुमाऊं की राजधानी और सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में इस बार दशहरा पहले से अलग रहा। अलग इस वजह से रहा कि काफी देर इंतजार के बावजूद बीती रात रावण के पुतले का दहन नहीं हो सका। आपसी विवाद के चलते रावण पुतला समिति ने पुतला जलाने से ही इंकार कर दिया। आरोप है कि समिति के राम-लक्ष्मण को भी स्टेडियम में एंट्री नहीं मिल सकी।

दरअसल अल्मोड़ा में एलआर साह रोड पर तब माहौल गरम हो गया जब पुतलों के जुलूस के दौरान चौक बाजार के पास रावण और देवांतक पुतला समिति के बीच पहले बहस और फिर मारपीट हो गई। विवाद इतना बढ़ गया कि पुतला समितियों ने पुतले रास्ते में रोककर नारेबाजी शुरू कर दी। पुलिस व प्रशासन की टीम ने आकर मामला शांत कराया मगर फिर स्टेडियम में विवाद हो गया। पुतला समिति का आरोप था कि उनकी उपेक्षा की गई है।

रात करीब साढ़े 12 बज गए और अंत में हुआ यह कि पुतला समिति के सदस्य रावण का पुतला लेकर ही चले गए। जिसके बाद प्रतीकात्मक तौर पर रावण के एक सिर को जलाया गया। दशहरा समिति अध्यक्ष अजीत कार्की का कहना है कि रावण पुतला समिति वाले पुतले को वापस ले गए थे। वहीं, रावण पुतला समिति अध्यक्ष अर्जुन बिष्ट का कहना है कि उनके राम-लक्ष्मण को भी स्टेडियम में नहीं आने दिया। कोई भी कार्रवाई ना होने के विरोध में वे पुतला वापस ले गए। दशहरा समिति अध्यक्ष अजीत कार्की ने कहा कि जो बुधवार की रात स्टेडियम नहीं पहुंचने वाले पुतलों पर अगले साल से प्रतिबंध लगाया जाएगा।

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