पाताल भुवनेश्वर: दुनिया के खत्म होने का रहस्य
उत्तराखंड को देवभूमि भी कहा जाता है, जिसके पीछे कई एतिहासिक कारण भी हैं। चारधाम और मंदिरों के अलावा यहाँ कई रहस्यमयी गुफाएं भी मौजूद है। और इनमे से अधिक मंदिरों का रहस्य अभी भी खुल नही पाया है। आज हम आपको इन्हीं मंदिरों में से एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसका रहस्य जानकर आप भी चौंक जाएँगे।
उत्तराखंड के जिला पिथौरागढ़ में स्थित है पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर। मान्यता है कि इस मंदिर में दुनिया खत्म होने का एक रहस्य छिपा हुआ है। लेकिन इस बात में कितनी सच्चाई है, इस बारे में कोई पुख्ता सबूत नहीं है। मान्यता यह भी है कि इस मंदिर में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास है।
भगवान शिव के इस मंदिर में दर्शन करने के लिए गुफा में जाना पड़ता है। जो समुद्र तल से करीब 90 फीट गहरी है। यह गुफा प्रवेश द्वार से 160 मीटर लंबी है। इस गुफा की ओर जाती हुई पतली सुरंग में अनेक चट्टानों की संरचना और नक्काशीदार विभिन्न भगवानों की जटिल छवियां बनी हुई है। दिलचस्प यह है कि यहां पर नागों के राजा अधिशेष की कलाकृतियां भी देखने को मिलती है।
इस मंदिर के इतिहास की अगर बात करें तो ऐसा माना जाता है कि त्रेता युग में इस गुफा की खोज राजा ऋतुपर्ण ने की थी। इसके बाद दोबारा इस गुफा की खोज पांडवों ने की थी। वहीं स्कंद पुराण के साथ पहली बार 819 ई में आदि गुरु शंकराचार्य ने इस गुफा की खोज की थी, और उन्होंने ही राजा को इस बात की जानकारी दी थी।
इसके बाद राजाओं के द्वारा ही गुफा में पूजा कार्य के लिए पुजारियों को लाया गया था। और तभी से भंडारी परिवार के लोग ही इस मंदिर में पूजा कर रहे हैं।
वहीँ पौराणिक कथाओं के अनुसार, पाताल भुवनेश्वर गुफा में चार द्वार मौजूद है। जिनका नाम रणद्वार, पाप द्वार, धर्म द्वार और मोक्ष द्वार है। माना जाता है कि जब रावण की मृत्यु हुई थी, तब पापद्वार बंद हो गया था। और इसके बाद महाभारत के युद्ध के बाद रणद्वार बंद हो गया था।
इस मंदिर में सबसे खास बात यह है कि यहां पर चार खंभे है। जो युगों के हिसाब से यानी सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग नाम से हैं। इनमे से सारे खंभे में तो कोई बदलाव नहीं है, लेकिन कलयुग के खंभे की लंबाई दूसरे खंभे से ज्यादा है। गौरतलब है कि यहां पर विराजित शिवलिंग का आकार तेजी से बढ़ रहा है।
जिसको लेकर यह माना जाता है कि जब यह शिवलिंग गुफा की छत को छू लेगा, तब दुनिया खत्म हो जाएगी। हालाँकि, इस बात में कितनी सच्चाई है इस बात का कोई पुख्ता सबूत किसी के पास भी नहीं है। लेकिन दूर दूर से भक्त यहाँ दर्शन करने आते हैं।