उत्तराखंड

उत्तराखंड में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए अब ऑटोमेटिक टेस्ट देना होगा

उत्तराखंड में अब ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए ऑटोमेटिक टेस्ट देना होगा। इसके लिए 100 रुपये अतिरिक्त यूजर चार्ज भी देना होगा। परिवहन विभाग की नीति में इस बदलाव पर सोमवार को कैबिनेट ने मुहर लगा दी है।

उत्तराखंड में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए अब ऑटोमेटिक टेस्ट देना होगा । इसके साथ ही अब प्रदेश में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए 100 रुपये अतिरिक्त यूजर चार्ज भी देना होगा। परिवहन विभाग की इस नीति में सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में मुहर लगा दी गई ।

परिवहन विभाग के सचिव अरविंद सिंह ह्यांकी ने मीडिया को बताया कि अभी तक प्रदेश में केवल देहरादून में ऑटोमेटिक टेस्ट सेंटर से ड्राइविंग लाइसेंस जारी होते थे। अब प्रदेश के सभी 21 एआरटीओ क्षेत्रों में ऐसे सेंटर बनाए जाएंगे। इनमें से आठ सेंटरों के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। बाकी सेंटरों के प्रस्ताव पर भी काम चल रहा है।

ह्यांकी ने बताया कि इन सेंटरों के संचालन को होने वाले खर्च की भरपाई के लिए ही 100 रुपये यूजर चार्ज का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि ऑटोमेटिक टेस्ट से ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष होगी।

कैबिनेट से इस फैसले पर मुहर लगने के बाद अब इसकी अधिसूचना जारी होगी। अधिसूचना जारी होने के बाद ही नए नियम लागू होंगे।

क्या है ऑटोमेटिक टेस्ट ?

ऑटोमेटिक टेस्ट में ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदकों का कंप्यूटर और सीसीटीवी की मदद से ड्राइविंग टेस्ट लिया जाता है । इस ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक पर कई एडवांस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें एक्सेस कंट्रोल एंट्री एग्जिट, फुल्ली आटोमेटिक टेस्ट ट्रैक, वीडियो एनालिटिक्स टेक्नोलॉजी, एग्जिट कॉरिडोर ईच टेस्ट ट्रैक, आदि शामिल है। इस ऑटोमेटिक टेस्ट में ड्राइविंग लाइसेंस उम्मीदवारों का बिना मानव हस्‍तक्षेप के वीडियो एनालिटिक्‍स टेक्‍नोलॉजी द्वारा उनके ड्राइविंग कौशल का परीक्षण लिया जाता है, और ये सारी प्रक्रिया केवल 10 मिनट के अंदर पूरी हो जाती है।

क्यों जरूरी है ऑटोमेटिक टेस्ट ?

दरअसल भारत में अभी भी बहुत सारी जगहों पर मैनुअल तरीके से ड्राइविंग टेस्ट होता है, जहां बहुत से ऐसे आवेदक होते हैं, जिन्हें गाड़ी चलाने भी नहीं आता है फिर भी उन्हें डीएल मिल जाता है। ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्ट से जो सबसे बड़ा फायदा है वह यह है कि अब फर्जी तरीके से कोई भी आवेदन अपना DL नहीं प्राप्त कर सकता है। उसको अपना डीएल बनवाने के लिए सबसे पहले टू व्हीलर या फोर व्हीलर को सीखना पड़ेगा।

परिवहन विभाग का मानना है कि ऑटोमेटिक टेस्ट से ड्राइविंग लाइसेंस के लिए योग्य उम्मीदवारों को ही लाइसेंस मिल पाएगा। इससे सड़कों पर दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आएगी।

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