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रोड नहीं तो वोट नहीं : चुनाव का बहिष्कार को लेकर डुमक गांव की बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास

चमेली : जोशीमठ डुमक गांव  के ग्रामीण सड़क निर्माण की मांग को लेकर  वर्षों से संघर्ष कर रहे  है। इस बार ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से आर-पार की लड़ाई लड़ने के मन बनाया है। ग्रामीणों ने तय किया है कि यदि प्रशासन द्वारा डुमक गांव तक प्रस्तावित सड़क सैंजी लगा मैकोट, डुमक, कलगोठ, उर्गम पर अविलंब कार्य शुरू नहीं किया जाता है तो ग्रामीण इस बार मज़बूरत आम चुनाव के बहिष्कार के लिए बाध्य होंगे। स्वतंत्रता प्राप्ति 76 वर्षों के बाद भी जोशीमठ प्रखंड के ये दूरस्थ गांव सड़क सुविधा से बंचित है।

चमेली : जोशीमठ डुमक गांव  के ग्रामीण सड़क निर्माण की मांग को लेकर  वर्षों से संघर्ष कर रहे  है। इस बार ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से आर-पार की लड़ाई लड़ने के मन बनाया है। ग्रामीणों ने तय किया है कि यदि प्रशासन द्वारा डुमक गांव तक प्रस्तावित सड़क सैंजी लगा मैकोट, डुमक, कलगोठ, उर्गम पर अविलंब कार्य शुरू नहीं किया जाता है तो ग्रामीण इस बार मज़बूरत आम चुनाव के बहिष्कार के लिए बाध्य होंगे। स्वतंत्रता प्राप्ति 76 वर्षों के बाद भी जोशीमठ प्रखंड के ये दूरस्थ गांव सड़क सुविधा से बंचित है।

सरकारें जहां देश के हर गांव को सड़क सुविधा से जोड़ने जाने का जिक्र करती रही है लेकिन डुमक गांव आज भी सड़क सुविधा से बंचित है। गांव तक सड़क सुविधा न पहुंचने से ग्रामीण आज भी मीलों पैदल दूरी तय कर के मुख्य सड़क तक पहुंचने के लिए बाध्य है। इस गांव को जोड़ने के लिए 2007 से सड़क प्रस्तावित है लेकिन शासन-प्रशासन की उदासीनता के डुमक गांव के ग्रामीण आज भी सड़क सुविधा के पहुंचने के इंतजार में एकटक लगाए देख रहे है। हर चुनावों में गांव तक राजनीतिक दलों के प्रचारक उनके पर्चे-पोस्टर और घोषणा पत्र गांव तक तो पहुंच जाते है लेकिन चुनाव समाप्त होते ही राजनीतिक दल और सरकारें डुमक गांव के लोगों की पीड़ा को ठंडे बस्ते में डाल कर आगे पांच साल के लिए कुम्भकर्णी नींद में सो जाती है और फिर ग्रामीण सड़क सुविधा को लेकर दर-बदर भटकने के लिए मजबूर होते है।

पिछले 1 महीनें से भी अधिक समय से डुमक गांव के ग्रामीणों ने सड़क नहीं तो वोट नहीं का आंदोलन शुरू किया हुआ है लेकिन मजाल कि शासन-प्रशासन और सड़क निर्माणदायी विभाग प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अधिकारी इस ओर कोई सुध ले ले। मजबूरन लोकतंत्र के इस महापर्व से ग्रामीणों को वंचित होने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है ये दुनियां के सबसे बड़े तथाकथित लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्य नहीं तो और क्या है? आज ग्राम डुमक में विकास संघर्ष समिति के तत्वावधान में एक बैठक आहूत हुई जिसमें सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि 19 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनाव का ग्रामीण सम्पूर्ण बहिष्कार करेंगे। बैठक में विकास संघर्ष समिति डुमक के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह, शोभन सिंह, यशवंत सिंह शिशुपाल सिंह, जगदीश सिंह, बलबीर सिंह, भवान सिंह, अंकित सिंह, संदीप सनवाल, पूजा देवी, शकुंतला देवी, रामेश्वरी देवी, लक्ष्मी देवी, बसंती देवी, मीना देवी समेत समस्त ग्रामीण मौजूद थे।

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