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सिलक्यारा सुरंग हादसे के बाद चट्टान की गुणवत्ता पर नितिन गडकरी ने दिया जवाब

केंद्रीय मार्ग परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यसभा सदस्य व कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा राज्यसभा  में पूछे गए सवाल के जवाब में सिलक्यारा सुरंग हादसे के बाद चट्टान की गुणवत्ता को लेकर बात की । 

उत्तराखंड में चारधाम परियोजना के तहत निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में गत 12 नवंबर को हुए भूस्खलन में फंसे 41 श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के बाद अब सुरंग की चट्टान की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं।

इस मामले में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने उच्च सदन में राज्यसभा सदस्य और कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे के सवाल के जवाब में बताया कि विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) सलाहकार द्वारा प्रस्तुत भूवैज्ञानिक रिपोर्ट में सिलक्यारा-बारकोट सुरंग (लंबाई 4.5 किमी) के लिए चट्टानों का वर्गीकरण “खराब” से “बहुत अच्छी” के बीच किया गया था। हालांकि, ईपीसी ठेकेदार ने चट्टानों का वर्गीकरण “बहुत खराब” से “सही” के बीच किया था।

गडकरी ने बताया कि सुरंग निर्माण के दौरान रास्ते में पड़ने वाली कमजोर चट्टानों की समस्या से निपटने के लिए शाटक्रीट, फोर पोलिंग, राक बोल्ट, स्टील रिब्स, जाली गार्डर आदि अतिरिक्त सहायता प्रदान की गई थी। उन्होंने कहा कि सुरंग निर्माण के दौरान सभी सुरक्षा मानकों का पालन किया गया था।

हादसे के बाद सुरंग के निर्माण कार्य को रोक दिया गया है। गडकरी ने कहा कि सुरंग के निर्माण को फिर से शुरू करने से पहले भूवैज्ञानिक रिपोर्ट की समीक्षा की जाएगी और सुरक्षा उपायों को और मजबूत किया जाएगा।

रैट माइनर्स की तारीफ

गडकरी ने सुरंग में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले रैट माइनर्स की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि जब मशीनों के जरिये बचाव अभियान को आगे बढ़ाने में कठिनाई पेश आई और यह लगा कि सुरंग में फंसे श्रमिकों को निकालने में कई दिनों की देर हो सकती है, तब परंपरागत उपकरणों से खोदाई करने वाले श्रमिकों यानी रैट माइनर्स ने कुछ घंटो में कमाल कर दिखाया।

सिलक्यारा सुरंग हादसा उत्तराखंड में निर्माणाधीन सुरंगों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा रहा है। सरकार को इस हादसे से सबक लेकर सुरंगों के निर्माण में सुरक्षा मानकों को और मजबूत करने के निर्देश दिए है।

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