धर्म-संस्कृति

Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि पर करें इन 7 श्लोकों का पाठ, होगी सभी मनोकामना पूरी

आज से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गई है। प्रत्येक वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना की जाती है। इसके साथ ही नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा उपासना की जाती है। आइए जानते है कुछ ऐसे माता के श्लोक के बारे में जिनका पाठ करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी।

Navratri 2024: हर वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना कर माता के नवरात्रों की शुरुआत हो जाती है। आज से ही चैत्र माह के नवरात्रों शुरू हो गई है। माना जाता है कि चैत्र नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। इसके साथ ही व्यक्ति की हर कामना भी पूरी हो जाती है। लेकिन यदि आप सम्पूर्ण दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर पाते हैं तो आप मात्र इन 7 श्लोकों का पाठ भी कर सकते हैं। 

सात श्लोकों में शामिल पूरे दुर्गा सप्तशती का पाठ

चैत्र नवरात्रि में सभी भक्त नौ दिनों में माता के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करते हैं। प्रत्येक दिन मुख्य तरह से माता रानी के विशेष रूप की पूजा-अर्चना की जाती है। यदि नवरात्रि के दौरान आप दुर्गा सप्तशती का पाठ करते है तो आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाएगी।

हालांकि यदि आप दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर सकते है तो आप नीचे दिए गए सात श्लोकों का पाठ कर सकते हैं। सम्पूर्ण दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर पाते हैं तो आप मात्र इन 7 श्लोकों का पाठ भी कर सकते हैं। 

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दुर्गा सप्तशती पाठ में 13 अध्याय

दुर्गा सप्तशती में 13 अध्याय है जिसमें 700 श्लोक हैं। इन्हीं श्लोकों के माध्यम से मां दुर्गा की आराधना की जाती है। इन 13 अध्यायों में मां दुर्गा के तीन चरित्रों के बारे में बताया गया है। इन चरित्रों को प्रथम, मध्यम और उत्तम के नाम से जानते हैं।

ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा। 

बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति।।

दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेष जन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि। 

दारिद्र्य दुःख भयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकार करणाय सदार्द्रचित्ता।।

सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। 

शरण्ये त्र्यंम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥

शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे 

सर्व स्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते॥4॥

सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते। 

भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते॥

रोगानशेषानपंहसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्। 

त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ही आश्रयतां प्रयान्ति॥

सर्वबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि। 

एवमेव त्वया कार्यम् अस्मद् वैरि विनाशनम्॥

दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हुए रखें ध्यान 

दुर्गा सप्तशती के पाठ करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। आइए जानते हैं सप्तशती पाठ करते समय किन गलतियों को करने से आपको बचना चाहिए।

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  • शास्त्रों के अनुसार, दुर्गा सप्तशती का पाठ वही व्यक्ति करें जिन्होंने नवरात्रि में अपने घर में कलश की स्थापना की है।
  • श्री दुर्गा सप्तशती की पुस्तक हाथ में लेकर श्लोकों को नहीं पढ़ना चाहिए। इसके लिए एक साफ चौकी में लाल कपड़ा बिछा लें। 
  • इसके बाद उसपर पुस्तक रखें और कुमकुम, चावल और फूल से पूजा करें। 
  • फिर इसके बाद से माथे में रोली लगा कर ही पाठ का आरंभ करें।
  • श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ को शुरू करने से पहले और समाप्त करने के बाद रोजाना नर्वाण मंत्र ‘ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’ का पाठ जरूर करें। इसके बाद ही पाठ पूर्ण माना जाता है।
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले स्नान आदि करके साफ वस्त्र धारण कर लें।
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय हर एक शब्द का सही और स्पष्ट उच्चारण करें। अगर आपको संस्कृत कठिन लग रही है, तो हिंदी में पाठ कर सकते हैं।

 

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