राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को आज पंतनगर विश्वविद्यालय में मानद उपाधि से नवाजा गया

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को आज पंतनगर विश्वविद्यालय में मानद उपाधि से नवाजा गया। आपको बता दें की कोरोना काल के बाद आज पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय द्वारा भौतिक रूप से 34वे दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया। जिसमे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को मानद उपाधि से नवाजा गया। साथ ही बता दें की दीक्षांत समारोह में 2503 छात्र और छात्राओं को उपाधि दी गई। इस दौरान पांच हजार लोग इस ऐतिहासिक क्षण के गवाह बने। इस दौरान महामहिम राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह, कृषि मंत्री गणेश जोशी सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

देश के प्रथम कृषि विश्वविद्यालय एवं हरित क्रांति की जननी पंतनगर में जीबी पंत विश्वविद्यालय मे आयोजित  समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित उत्तराखण्ड के राज्यपाल एवं कुलाधिपति ले. जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह द्वारा 2503 विद्यार्थियों को उपाधि व दीक्षा प्रदान की गयी। इस अवसर पर महामहिम ने कहा कि पी.एचडी. एक अलग ही लेवल है और आज से 275 उपाधि धारक डाॅक्टर कहलाएंगें। इस क्षण डिग्री एवं मेडल लेने आए विद्यार्थियों में एक अलग ही उत्साह दिखा जोकि बहुत ही अहम है। आज उत्तराखण्ड की बेटियों ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है, यहां तक कि एक परिवार की दो बहनों ने मेडल हासिल किया है। उन्हांेने विद्यार्थियों के माता-पिता और गुरूजनों को हार्दिक बधाई दी और विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे अपने माता-पिता, गुरूजन एवं साथी को न भूले दीक्षांत समारोह एक महोत्सव की तरह होता है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि आप सपने देखिए और संकल्प लिजिए।

दीक्षांत समारोह के अवसर पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को विज्ञान वारिधि की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डोभाल ने कहा कि यह विश्वविद्यालय हमारे राष्ट्र के लिए गौरव का एक स्तम्भ चिन्ह है। हमारे लिए यह सौभाग्य की बात है कि हमेें यहां आने का अवसर प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय ने देश की सेवा उस समय की है कि जब हमारे देश में अकाल की स्थिति थी और अन्य देशों से खाद्यान्न का आयात करना पड़ता था।

हम खाद्यान्न में सक्षम ही नहीं बल्कि अन्य देशों को निर्यात कर रहे हैं। उन्होंने आजादी के समय व वर्तमान समय में भारत-चीन की कृषि भूमि व खाद्यान्न उत्पादन का तुलनात्मक विवरण देते हुए कहा कि चीन कम भूमि होते हुए भी 682 मैट्रिक टन अनाज उत्पादन कर रहा है जबकि भारत 315 मेट्रिक टन उत्पादन कर रहा है।

चीन में खाद्यान्न उत्पादन की कीमत 10367 बिलियन डॉलर है जबकि भारत की कीमत 407 बिलियन डॉलर है। उन्होंने कहा कि चीन के पास हम से कम भूमि होते हुए भी हमसे ज्यादा प्रोडक्टिविटी है। उन्होंने कृषि क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियों तथा संस्थानों के लिए कहा कि अगर चीन कम भूमि होते हुए भी हमसे अधिक खाद्यान्न उत्पादन करता है तो आपके लिए ये चेलेंज बाॅर्डर पर खड़े सैनिकों के चेलेंज से कम नहीं है। किसान साइटिंस्ट शोधकर्ताओं तथा संस्थाओं के लिए यह एक चुनौती है।

उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा, देश की सम्प्रभुता, देश की मजबूती, रक्षा और सुरक्षा का बहुत बड़ा आयाम है। उन्होंने वैज्ञानिकों एवं शोध कर्ताओं के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि हमंे खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि करने के लिए और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है। राष्ट्र सुरक्षा के लिए खाद्य सुरक्षा एक महत्वपूर्ण आयाम है। उन्होंने छात्रों और युवा वैज्ञानिकों से अगले दस वर्षों में उत्पादन को बढ़ाने में योगदान हेतु आह्वान किया।

कुलसचिव डा. ए.के. शुक्ला ने समारोह का संचालन किया एवं अंत में इस अवसर पर डीआईजी अशोक कुमार, मण्डलायुक्त दीपक रावत, जिलाधिकारी युगल किशोर पन्त, एएसपी मन्जूनाथ टीसी, मुख्य विकास अधिकारी विशाल मिश्रा, सहित विश्वविद्यालय के प्रबन्ध परिषद् एवं विद्वत परिषद् के सदस्यों के साथ-साथ विश्वविद्यालय के संकाय सदस्य, अधिकारी, कर्मचारी एवं विद्यार्थी, प्रगतिषील कृषक तथा प्रदेष सरकार एवं जिला प्रषासन के उच्चाधिकारी उपस्थित थे।

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