वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतजामिया मसाज कमेटी ने आज इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक अपील दायर की है, जिसमें वाराणसी जिला न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें हिंदुओं को मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में प्रार्थना करने की अनुमति दी गई है।
यह घटनाक्रम सुप्रीम कोर्ट द्वारा “व्यास जी का तहखाना” में “पूजा” की अनुमति देने वाले आदेश के खिलाफ मस्जिद समिति की याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार करने के दो दिन बाद आया है। जिला न्यायालय ने प्रशासन को व्यास तहखाना में सात दिनों के भीतर हिंदू पूजा की सुविधा प्रदान करने का निर्देश दिया था यहाँ 1993 में प्रार्थनाएं बंद कर दी गई थीं।
प्रमुख बिंदु:
- मुस्लिम समिति जिला न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने की मांग कर रही है और तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया है।
- यह अपील भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की रिपोर्ट में दावा किए जाने के बाद आई है कि 17वीं सदी की एक मस्जिद एक नष्ट किए गए हिंदू मंदिर की जगह पर बनाई गई थी।
- हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद मुगल बादशाह औरंगजेब ने एक मंदिर को तोड़कर बनाई थी, जबकि मुस्लिम पक्ष इस दावे का विरोध करता है।
इतिहास:
ज्ञानवापी मस्जिद मामला भारत में धार्मिक स्थलों के स्वामित्व से संबंधित कई विवादों में से एक है, जो ऐतिहासिक रूप से सांप्रदायिक तनाव का स्रोत रहा है। कानूनी लड़ाई में वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर पर नियंत्रण की मांग करने वाली कई याचिकाएं शामिल हैं।