करोड़ो रूपए खर्च, मेट्रो कार्य ठप

देहरादून: तमाम घोषणाओं और दावों के बावजूद डबल इंजन सरकार में भी यह सपना साकार नहीं हो पाया। कागजों में एक के बाद एक प्रोजेक्ट के सब्जबाग दिखाए गए, मंत्री-अधिकारियोंने मेट्रो ट्रेन के नाम पर लंदन और जर्मनी समेत कई देशों की यात्रा पर करोड़ों रुपये खर्च कर डाले। दून में मेट्रो कारपोरेशन के अधिकारी-कर्मचारियों के सैलरी आदि पर भी सालाना 5-6 करोड़ खर्च हो रहे हैं। हैरत की बात यह है कि साल दर साल बीतते गए, लेकिन इन 5 सालों में मेट्रो के नाम पर एक ईंट तक नहीं जोड़ी जा सकी। एक रिपोर्ट।

फिर आई अछी खबर
सरकार की ओर से दिलचस्पी न लिए जाने और बार-बार बदलते प्रोजेक्ट ने सिटी में मेट्रो ट्रेन परियोजना मूर्त रूप नहीं ले पाई। इस सबके बावजूद एक अ’छी खबर आ रही है कि दून में अब रबर टायर मेट्रो चलेगी। दावा किया जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार से अगले हफ्ते तक मंजूरी दे सकती है। यदि केंद्र सरकार इस परियोजना को हरी झंडी देती है तो 2025 तक दूनवासी रबर टायर मेट्रो के सफर का लुत्फ उठा सकेंगे।

अब तक की कार्रवाई पर एक नजर
-वर्ष 2017 में सबसे पहले दून में मेट्रो ट्रेन का सपना देखा गया।
-इसके बाद मेट्रोमैन श्रीधरन को मार्गदर्शन के लिए उत्तराखंड को सलाहकार बनाने का प्रस्ताव आया
-मेट्रो के बाद केबल कार यानि रोपवे का प्रोजेक्ट आया
-2018 में शहरी विकास मंत्री की अध्यक्षता में लंदन, जर्मनी का दौरान किया गया।
-हरिद्वार में पौंड टैक्सी पर भी विचार किया गया।
-बात नहीं तो नियो मेट्रो का प्रोजेक्ट तैयार किया। इसके लिए ऋषिकेश-हरिद्वार को मेट्रोपोलिटिन एरिया किया घोषित।
-यूकेएमआरसी के एमडी ने सितंबर में इस्तीफा दिया, लेकिन सरकार ने इस्तीफा नामंजूर किया।

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