“मनसा देवी मंदिर” – श्रधा एवं आस्था का केंद्र
उत्तराखंड अपने धार्मिक स्थलों के लिए विश्वभर में विख्यात है। और उन्ही में से एक मंदिर है मनसा देवी मंदिर। एक ऐसा प्रसिद्ध धार्मिक स्थल, जोकि हरिद्वार में हर की पौड़ी के पास गंगा किनारे पहाड़ी पर स्थित श्रधा एवम् आस्था का केंद्र है। माँ मनसा का यह मंदिर शहर से लगभग 3 किमी की दूरी पर स्थित है। गौरतलब है कि यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है।
इतना ही नहीं, बल्कि हरिद्वार के “चंडी देवी” और “माया देवी” के साथ “मनसा देवी” को भी सिद्ध पीठों में प्रमुख माना जाता है। मनसा देवी को शाक्ति का एक रूप माना जाता है। यह मंदिर माँ मनसा को समर्पित है, जिन्हे वासुकी नाग की बहन बताया गया है। मान्यताओं के अनुसार माँ मनसा शक्ति का ही एक रूप है, जो कश्यप ऋषि की पुत्री थी, जो उनके मन से अवतरित हुई, और मनसा कहलवाई।
माँ मनसा देवी को लेकर यह भी माना जाता है, कि मनसा देवी और चण्डी देवी दोनों पार्वती के दो रूप है। जो एक दूसरे के करीब रहते है। और ये भगवान शंकर की मन से उभरी एक शक्ति है। और ‘मनसा’ शब्द का प्रचलित अर्थ “इच्छा” है।
नाम के अनुसार “मनसा” माँ अपने भक्तो की मनसा यानी इच्छा पूर्ण करती हैं। और माँ के इस मंदिर में दूर-दूर से भक्त पहुँचते हैं, और अपनी इच्छा पूरी करने के लिए मंदिर प्रांगण में स्थित पेड़ की शाखा पर एक पवित्र धागा बाँधते है। जब भक्तो की इच्छा पुरी हो जाती है, तो भक्त पुनः आकर उसी धागे को शाखा से खोल देते है।
इस प्रथा से माता के प्रति असीम श्रधा , भक्ति और निष्ठा दिखाई देती है। भक्त मनसा माँ को खुश करने के लिए मंदिर में नारियल , प्रसाद एवम् मिठाई आदि चढाते है। बताते चलें कि इस मंदिर में माँ मनसा की दो मूरत है , एक मूरत की “आठ भुजाएं” हैं तो वहीँ दूसरी मूरत के “तीन सिर” और “पाँच भुजाये” है। भक्तों की मुरादें पूरी करने वाली माँ मनसा देवी की पूजा गंगा दशहरा के दिन “हरिद्वार” के साथ साथ बंगाल में भी की जाती है।