महुआ मोइत्रा ने दर्शन हीरानंदानी के साथ लॉगिन क्रेडेंशियल साझा करने की बात स्वीकार की, रिश्वत लेने से इनकार किया
महुआ मोइत्रा ने हीरानंदानी समूह के सीईओ दर्शन हीरानंदानी के साथ अपने लोकसभा लॉगिन क्रेडेंशियल साझा करने की बात स्वीकार कर ली है । एक राष्ट्रीय चैनल को दिए गए साक्षात्कार में उन्होंने यह बात स्वीकार की ।
कैश फॉर क्वेरी मामले में तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने हीरानंदानी समूह के सीईओ दर्शन हीरानंदानी के साथ अपने लोकसभा लॉगिन क्रेडेंशियल साझा करने की बात स्वीकार कर ली है । उन्होंने कहा कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया ताकि हीरानंदानी उनकी ओर से संसद में सवाल पूछने में मदद कर सकें ।
उन्होंने हीरानंदानी से रिश्वत लेने के आरोपों से इनकार किया और कहा कि उन्हें उनसे ‘गिफ्ट’ में केवल एक स्कार्फ, एक लिपस्टिक और एक आईशैडो ही मिला था। उन्होंने उन आरोपों का भी खंडन किया कि हीरानंदानी ने उनके बंगले के नवीनीकरण के लिए धन दिया था। उन्होंने कहा कि बंगले का नवीनीकरण केंद्रीय लोक निर्माण विभाग द्वारा किया गया था।
मोइत्रा की टिप्पणी उन आरोपों के बीच आई है जिसमें कहा गया था कि उन्हें संसद में प्रश्न पूछने के बदले हीरानंदानी से उपहार मिले थे। संसद की आचार समिति ने उन्हें 31 अक्टूबर को अपना बचाव पेश करने के लिए बुलाया है, लेकिन मोइत्रा ने अपने निर्वाचन क्षेत्र कृष्णानगर में “पूर्व-निर्धारित कार्यक्रमों” के कारण और अधिक समय देने का अनुरोध किया है।
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और दिल्ली स्थित वकील जय अनंत देहाद्राई पहले ही अपने बयान दर्ज करा चुके हैं और तृणमूल सांसद के खिलाफ सबूत पेश कर चुके हैं। दुबे, जिन्होंने मोइत्रा के खिलाफ संसद की आचार समिति में शिकायत दर्ज कराई है ने उनके दावों का खंडन करते हुए कहा है कि सांसदों द्वारा अपने लॉगिन क्रेडेंशियल किसी के साथ साझा न करने को लेकर नियम स्पष्ट हैं। दुबे ने कहा मोइत्रा द्वारा हीरानंदानी को प्रभावित करने के प्रयास किए जाने की भी जांच होनी चाहिए ।
सूचना के अनुसार दर्शन हीरानंदानी व दुबई दीदी( सांसद) सम्पर्क में हैं । गवाह को प्रभावित करने की कोशिश चल रही है @loksabhaspeaker को कारवाई करनी चाहिए
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) October 28, 2023
मोइत्रा की स्वीकारोक्ति ने इस बात पर एक नई बहस छेड़ दी है कि क्या सांसदों के लिए अपने लॉगिन क्रेडेंशियल दूसरों के साथ साझा करना उचित है। सोशल मीडिया पर कुछ लोगों का कहना है कि सुरक्षा के लिहाज से देखा जाए तो यह एक जोखिम है, जबकि अन्य ने कहा है कि सांसदों द्वारा अपने कर्मचारियों को कार्य सौंपना एक आम बात है।
संसद की एथिक्स कमेटी फिलहाल मोइत्रा पर लगे आरोपों की जांच कर रही है । यह स्पष्ट नहीं है कि अगर समिति को पता चलता है कि मोइत्रा ने कोई नियम तोड़ा है तो वह क्या कार्रवाई कर सकती है।