पागलपन या भूत-प्रेत ? जानिए क्यों करता है इन्सान मल्टिप्ल बिहेव

कई बार आप ऐसे लोगों से मिले होंगे जिनके व्यक्तित्व को समझ पाना मुश्किल होता है यानी वे पहले कुछ अलग रियेक्ट करते हैं और बाद में कुछ अलग | कभी-कभी हमें लगने लगता है की क्या ये वही शख्स है ? आमतौर पर जब किसी इन्सान में ये समस्या ज्यादा बढ़ने लगती है तो हम इसे भूत-प्रेत से जोड़ते हैं या उस शख्स को पागल करार दे देते हैं लेकिन रुकिए ! वो शख्स पागल या उसपर भूत-प्रेत का साया नहीं है बल्कि हो सकता है की वो एक बीमारी से गुज़र रहा हो जिसे विज्ञानं की भाषा में मल्टीप्ल पर्सनालिटी डिसऑर्डर कहते हैं |

ये तब होता है जब हमें कोई मानसिक शॉक लगा हो या कोई ऐसी चीज़ जो हमें रोज़मर्रा की जिंदगी में लगातार परेशान कर रही हों |

उदाहरण से समझते हैं क्या है ये बीमारी |

क्या है मल्टीप्ल पर्सनालिटी डिसऑर्डर ?

दरअसल जब एक शख्स कई तरह के बर्ताव करने लगता है यानी वो एक से अधिक लोगों की तरह व्यवहार करने लगता है तो उसे मल्टीप्ल पर्सनालिटी डिसऑर्डर कहते हैं | उदहारण से समझिए-

एक लड़का है जिसका नाम अमित (बदला हुआ नाम) है | अमित के माता-पिता उसे लगातार पढने के लिए उसपर दबाव बनाते हैं, उसे घर से बहार नहीं निकलने देते | उसके साथ ये सब सालों से हो रहा है अब  अमित वैसे तो शांत स्वभाव का है लेकिन पढाई के मानसिक दबाव ने उसे चिडचिडा बना दिया है | अब एक ओर वो अपनी स्कूल लाइफ में शांत स्वभाव का है लेकिन जब घर पर उसके पिता अब उसे पढाई को लेकर डांटते हैं तो वो अपने पिता को गाली देने लगता है और कभी-कभी मारने भी दौड़ता है |

दूसरा मामला-

रोहन (बदला हुआ नाम) को उसके स्कूल में उसके दोस्त उसे बहुत चिढाते हैं उसे एक कमज़ोर बच्चा समझते हैं काफी समय से रोहन के साथ ये सब हो मढ़ा है और अब इसका प्रभाव ये पड़ा की उसके अंदर 2 पर्सनालिटी विकसित हो गई है | एक उसे लगातार बुली करने वालो को डांटने को कहती है तो एक उसे बुज़ुर्ग की तरह शांत रहना सिखाती है | ये दोनों पर्सनालिटी उसके दिमाग पर बुरा प्रभाव डालती हैं |

भारत में ऐसे लोगों को पागल करार दिया जाता है और फिर वे सामाजिक प्रताड़ना का ज्यादा शिकार होते हैं जबकी ऐसी स्थिति में उन्हें सामाजिक सहकार की ज्यादा जरुरत होती है |

ऐसा नहीं है की इससे सिर्फ बच्चे प्रभावित हैं इस बीमारी से सबसे ज्यादा युवा और वयस्क परेशान हैं |

क्या है इसका इलाज ?

इस बीमारी निकलना थोडा मुश्किल तो है मगर नामुमकिन नहीं |

दरअसल इसके लिए साइकोथेरेपी की जरुरत पडती है इसके दौरान को रोगी को उस यातना या उस ट्रामा से बहार निकालने के लिए ट्रिगर किया जाता है इसमें पारिवारिक सपोर्ट की बहुत ज्यादा जरुरत होती है | साथ ही डॉक्टर्स इससे निकलने के लिए ध्यान और मेडीटेशन का सुझाव भी देते हैं |

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