Lok Sabha Elections 2024: UCC या अग्निवीर क्या होगा Uttarakhand में हावी?
उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव की तैयारी जोरो शोरो से हो रही है। सभी प्रत्याशी चुनावी प्रचार मैदान में उतर चुके हैं। राज्य में केवल पांच लोकसभा सीटें हैं, लेकिन ऐसा कहा जाता है कि देवभूमि जिस पार्टी पर मेहरबान होती है, केंद्र सरकार पर भी वहीं पार्टी काबिज होती है।
Lok Sabha Elections 2024: भारत में हर तरह के चुनावों को त्योहार की तरह मनाया जाता है। राजनीतिक पार्टियों से लेकर आम जनता भी चुनाव संबंधित तैयारियों में पूरा ध्यान देते हैं। देवभूमि उत्तराखंड का एक अनोखा इतिहास रहा है, जिसमें वहां से लोकसभा चुनाव में उसी पार्टी के ज्यादा उम्मीदवार विजय हुए हैं, जिस पार्टी की केंद्र में सरकार बनी है। आइए जानते है कि कैसे उत्तराखंड की राजनीति और देश की राजधानी दिल्ली का क्या खास कनेक्शन है। साल 1989 और 2004 दो बार ही ऐसा हुआ है कि सत्ता में आने वाली पार्टी को उत्तराखंड की कुल पांच सीटों में से तीन से कम सीटें मिली है। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में पांचों सीटें बीजेपी ने जीती थी और केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी है। साल 2019 में भी उत्तराखंड ने अपना यह इतिहास एक बार फिर से दोहराया था। जिसके परिणाम स्वरूप राज्य से बीजेपी ने सभी पांचों सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस बार राज्य की सभी पांच सीटों के लिए 19 अप्रैल को वोटिंग है।
UCC या अग्निवीर, क्या होगा चुनाव में हावी?
इस बार के लोकसभा चुनाव में भी मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है।ठीक इसी प्रकार राज्य में भी यहीं हालात है। उत्तराखंड को बीजेपी का नया सेंटर आफ ऐटरेक्शन माना जा रहा है। यहां बीजेपी सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड का कानून पास कर चुकी है और अब उसके नियम बनाए जा रहे हैं। हालांकि यह फिलहाल लागू नहीं हुआ है लेकिन बीजेपी इसे खूब भुना रही है। उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जिसने UCC पास किया है। बीजेपी के चुनावी वादे में भी UCC था। दूसरी तरफ, कांग्रेस ने अग्निवीर का मसला भी उठाया था। भारतीय सशस्त्र सेनाओं में भर्ती की नई स्कीम ‘अग्निपथ’ का कांग्रेस शुरू से विरोध करती रही है। चुनाव से पहले कांग्रेस ने इस मुद्दे को उठाया है।
अग्निवीर योजना बन सकती है बड़ा मुद्दा
देवभूमि उत्तराखंड सैन्य बहुल राज्य है। राज्य में डेढ़ लाख से ज्यादा पूर्व सैनिक और सैनिकों की विधवाएं हैं। उत्तराखंड के तीन हजार से ज्यादा सैनिक हर साल रिटायर होते हैं। आर्म्ड फोर्सेज (आर्मी, नेवी और एयरफोर्स) में उत्तराखंड से अभी 70 हजार से ज्यादा सैन्यकर्मी मौजूद हैं। राज्य में सैनिक-पूर्व सैनिक और उनके परिवार के ही करीब 4.5 लाख वोटर हैं। राजनीति और चुनाव के लिहाज से यह संख्या काफी जरूरी है। अब ऐसे में देखना होगा कि अग्निवीर बड़ा मुद्दा बन पाएगा या कांग्रेस को इसका फायदा नहीं मिलेगा।