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Kota Suicide की घटनाओं पर कितनी सतर्क है राजस्थान सरकार, जानिए विशेष रिपोर्ट

राजस्थान के कोटा शहर से आए दिन विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स के सुसाइड मामले सुनने को मिल रहे है। हैरानी वाली बात यह है कि बीते कुछ सालों से यह घटनाएं थम नहीं रही है। ऐसे में आम जनता के बीच राजस्थान सरकार की सजगता को लेकर सवाल उठ रहे है। कुछ दिन पहले ही चौबीस घंटे के अंदर दो छात्रों की सुसाइड की घटना को देखते हुए गहलोत सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।

कोटा सुसाइड घटनाओं को देखते हुए ऐसा लग रहा है जैसे आत्महत्या की समस्या महामारी का रूप धारण करती जा रही है। आमतौर पर लोग कई कारणों से सुसाइड करते है, यदि ऐसे में उन्हें सही समय पर दोस्त और परिवार द्वारा सहायता मिल जाए तो इन मामलों को कम किया जा सकता है। आज आप सभी को इस आर्टिकल में राजस्थान के कोटा शहर में हो रही आत्महत्याओं पर विशेष रूप से जानकारी पढ़ने को मिलेगी। 

छात्रों की सुसाइड घटनाओं में तेजी

आपको जानकर हैरानी होगी की अकेले भारत में कुल सुसाइड(suicides) के मामलों में छात्रों की सुसाइड के मामले ज्यादा तेजी से बढ़ रहे है। सरकार द्वारा जारी डाटा के अनुसार वर्ष 2021 में सुसाइड के कुल 1,64,033 मामलों में छात्रों की सुसाइड की घटनाओं (suicide cases) की संख्या 13,089 थी। इन सभी सुसाइड के मुख्य कारण लगभग शैक्षणिक दबाव, अकेलापन, वित्तीय चिंता, साइबर बुलिंग आदि है। कोटा में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स की आत्महत्या का मुख्य कारण इन्हीं में से एक शैक्षणिक दबाव देखने को मिल रहा है।

बीते आठ वर्षों के कोटा सुसाइड मामले

राजस्थान के कोटा शहर में पूरे देश से स्टूडेंट्स अपने सपनों को उड़ान देने के लिए आते है। यहां सभी छात्र मुख्य रूप से नीट और जेईई जैसी बड़ी परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग सेंटर जॉइन करते है। अपने परिवार और दोस्तों से हजारों किलोमीटर दूर से आ रहे सभी स्टूडेंट्स के लिए यह बेहद मुश्किल अनुभव होता है। ऐसे में उन्हें प्रोत्साहित और खुश रखने की जिम्मेदारी कोचिंग सेंटर की होती है। लेकिन हकीकत में ऐसा होता हुआ नहीं दिख रहा है।

कोटा पुलिस द्वारा दिए गए वर्ष 2015-2022 के डाटा के अनुसार स्टूडेंट्स के सुसाइड मामलों में कुछ खास गिरावट देखने को नहीं मिली है। कोटा में वर्ष 2015 में 18, 2016 में 17, 2017 में 7, 2018 में 20 और 2019 में 19 आत्महत्याओं के मामले दर्ज हुए थे। वहीं वर्ष 2020 और 2021 में कोई आत्महत्या नहीं हुई थी। बीते वर्ष 2022 में 15 छात्रों ने सुसाइड की थी।

गहलोत सरकार ने उठाए ये कदम

कोटा में कुछ दिनों पहले चौबीस घंटे में दो छात्रों के सुसाइड का मामला सामने आया था। इस मामले को और पूर्व में हुए मामलों को गंभीरता से लेते हुए गहलोत सरकार ने राज्य स्तरीय कमेटी का गठन किया। यह कमेटी का मुख्य उद्देश्य बढ़ते मामलों के आंकड़ों पर मंथन करना और कारण जानना है। कमेटी ने 8 घंटे की मीटिंग रखी जिसमें बारीकी से सभी पहलुओं पर चर्चा हुई है। हाई लेवल कमेटी ने स्टडी के घंटे कम करने और मनोरंजक गतिविधियों को अपनी दिनचर्या में शामिल करके छात्रों के लिए एक अनुकूल वातावरण बनाने की सिफारिश की है। यह सिफारिश दिमाग विशेषज्ञ, सामाजिक कल्याण संगठन और आध्यात्मिक व योग समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ बैठक होने के बाद की गई है।

राज्य स्तरीय कमेटी की हाई लेवल मीटिंग में की गई सिफारिश को सभी कोचिंग सेंटर और स्टूडेंट्स के परिवार वालों को भी समझने की बहुत जरूरत है। इन सभी का परिणाम अब कुछ समय बीत जाने के बाद ही देखने को मिलेगा। जिम्मेदार नागरिक और इंसानियत के तौर पर यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम अपने आसपास हो रही गतिविधियों पर ध्यान दे और जिम्मेदारी से कदम उठाए।

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