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Chandrayaan 3 : जानिए क्या है चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 के बीच का अंतर

चंद्रयान 3 मिशन चंद्रमा पर भारत का तीसरा मिशन है, जिसे 14 जुलाई, 2023 को लॉन्च किया गया था। यहाँ हम आपको बताने जा रहे है चंद्रयान 2 और चंद्रयान 3 के बीच के प्रमुख अंतर ।

चंद्रयान-3 की लैंडिंग के साथ ही भारत इतिहास रचने जा रहा है  । चंद्रयान-3 आज शाम चाँद पर लैंडिंग का प्रयास करेगा और इसी के साथ रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद भारत चंद्रमा पर रोवर उतारने वाला चौथा देश बन जाएगा।

चंद्रयान -2 की विफलता से सबक लेते हुए अंतरिक्ष एजेंसी इसरो को इस बार पूरा विश्वास है कि चंद्रयान-3 की लैंडिंग बिना किसी रुकावट के होगी ।

चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 दोनों मिशनों के उद्देश्य समान हैं, लेकिन भारत के चंद्रमा मिशन के दोनों चरणों में बड़े अंतर हैं। तो आखिर क्या अंतर है चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 में ? आइए जानते है ।

  • चंद्रयान 2 में ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर के रूप में तीन प्रमुख कॉमपोनेन्टस थे। हालाँकि, चंद्रयान 3 में ऑर्बिटर को प्रोपल्शन मॉड्यूल से बदल दिया गया है। चंद्रयान 3 के लैंडर में चंद्र भूकंपीय गतिविधि (Lunar Seismic Activity ) के लिए एक उपकरण है जो चंद्रमा पर प्लाज्मा घनत्व को माप सकता है।
  • चंद्रयान 2 अंतरिक्ष यान का कुल वजन 3,850 किलोग्राम था, जबकि चंद्रयान 3 का वजन लगभग 3,900 किलोग्राम है, जिसमें प्रोपल्शन मॉड्यूल 2,148 किलोग्राम, लैंडर मॉड्यूल 1,752 किलोग्राम और रोवर मॉड्यूल 26 किलोग्राम शामिल है।
  • चंद्रयान 2 को लंबी अवधि तक संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया था जो कि 7 वर्षों के लिए था। वहीं, चंद्रयान-3 को 3 से 6 महीने के बीच की तय सीमा के लिए डिजाइन किया गया है ।चंद्रयान 2 में खतरों का पता लगाने के लिए एक कैमरा था जबकि चंद्रयान 3 में दो ऐसे कैमरे हैं जो पिछले वाले की तुलना में अधिक मजबूत बनाए गए हैं।
  • चंद्रयान-2 में सफलता-आधारित डिज़ाइन के बजाय, अंतरिक्ष एजेंसी ने चंद्रयान-3 में विफलता-आधारित डिज़ाइन को चुना है , जिसमें इस बात का खास ध्यान रखा गया है कि क्या विफल हो सकता है और इसे कैसे सुरक्षित रखा जाए और एक सफल लैंडिंग सुनिश्चित की जाए। इसरो ने कहा कि “चंद्रयान-3 की डिज़ाइन फिलॉसफी यह है कि सबकुछ गलत होने पर भी यह लैंड कर जाए ।”
  • चंद्रयान-3 मिशन के लिए इस्तेमाल किया जा रहा लॉन्च रॉकेट वही है जिसका इस्तेमाल चंद्रयान 2 मिशन में किया गया था, लेकिन इसे चंद्रयान-3 के लिए बेहतर बनाने के लिए कई संशोधन किए गए हैं।
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