ज्योतिष पीठ शंकराचार्य नियुक्ति विवाद : संन्यासी अखाड़े चुनेंगे अपना शंकराचार्य
ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य की ताजपोशी को लेकर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के गुरु भाई स्वामी सुबोधानंद ने अखाड़ा परिषद पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि शंकराचार्य की नियुक्तियों को लेकर अखाड़ा परिषद का हस्तक्षेप ठीक नहीं है। बीते रोज कनखल (हरिद्वार) स्थित शंकराचार्य मठ में प्रेस वार्ता करते हुए उन्होंने कहा कि शंकराचार्य की नियुक्ति को लेकर अखाड़ा परिषद को किसी भी प्रकार का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि शंकराचार्य की नियुक्ति को लेकर अखाड़ा परिषद की कोई भी बात नहीं मानी जाएगी
दूसरी तरफ अखाड़ा परिषद का कहना है कि सन्यासी अखाड़े अपना शंकराचार्य चुनेंगे। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्र पुरी ने अविमुक्तेश्वरानंद की नियुक्ति को फर्जी करार देते हुए कहा कि संन्यासी अखाड़े अपना शंकराचार्य बनाएंगे।
स्वामी सुबोधानंद ने कहा कि पिछले महीने 12 सितंबर को ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद को भू-समाधि देने से पहले ही स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का ज्योतिष पीठ और स्वामी सदानंद का द्वारका पीठ के शंकराचार्य पद पर पट्टाभिषेक कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद महाराज ने अपने इच्छा पत्र में भी अविमुक्तेश्वरानंद और स्वामी सदानंद को परंपरानुसार शंकराचार्य बनाया है। उन्होंने कहा कि काशी विद्वत परिषद और भारत धर्म महामंडल भी इस पर अपना प्रस्ताव दे चुके हैं। उन्होंने कहा कि जब सब कुछ स्पष्ट है तो ऐसे में अखाड़ा परिषद को अनावश्यक हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि अखाड़ा परिषद को बताना चाहिए कि वह अब तक कितने शंकराचार्य बना चुकी है।
दूसरी तरफ अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्र पुरी का कहना है कि शंकराचार्यों की नियुक्ति में अखाड़ों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि जब सन 1941 में ब्रह्मलीन स्वरूपानंद के गुरु ब्रह्मानंद को शंकराचार्य बनाया गया था, तब भी संन्यासी अखाड़ों की अहम भूमिका थी।