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Justice For Ankita Bhandari फिर करने लगा ट्रेंड, पत्रकार Ashutosh Negi भी गिरफ्तार

उत्तराखंड में साल 2022 में अंकिता भंडारी की निर्मम तरीके से हत्या की गई थी। इस मामले में शामिल आरोपी फिलहाल जेल में है। लेकिन यह पूरा मामला अंकिता भंडारी को न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ रहे पत्रकार आशुतोष नेगी की गिरफ्तारी के बाद एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है।

Justice For Ankita Bhandari: उत्तराखंड में करीब डेढ़ साल पहले अंकिता भंडारी की निर्मम हत्या कर दी गई थी। तब से लेकर अबतक पीड़िता के माता-पिता न्याय की लड़ाई लढ़ रहे है। वर्तमान में अचानक से एक बार फिर सड़क पर प्रदर्शन के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी अंकिता भंडारी(justice for ankita bhandari) को न्याय दिलाने के हैशटैग के साथ कैंपेन शुरू हो गया है। इसके पीछे की वजह अंकिता केस में न्याय की लड़ाई लड़ रहे पत्रकार आशुतोष नेगी की गिरफ्तारी है। पत्रकार की गिरफ्तारी के बाद से लोगों में फिर से रोष दिखाई दे रहा है। ‌

श्रीनगर-गढ़वाल में धरने पर बैठे माता-पिता

अंकिता भंडारी को न्याय दिलाने के लिए उसके माता-पिता और परिजन श्रीनगर गढ़वाल में धरने पर बैठे हुए हैं। तत्कालीन SDM और यमकेश्वर MLA पर कार्रवाई की मांग को लेकर बड़ी संख्या में लोगों ने प्रदर्शन भी किया और सरकार का पुतला फूंककर जमकर नारेबाजी भी की है। आरोप लगाए जा रहे हैं कि सरकार और पुलिस-प्रशासन के दबाव में बड़े आरोपियों को बचाया जा रहा है। इस प्रकरण में न्याय की लड़ाई लड़ रहे आशुतोष नेगी नामक शख्स को पुलिस ने देर रात गिरफ्तार कर लिया है। आशुतोष नेगी को पेशे से पत्रकार बताया जा रहा है। 

SC-ST एक्ट में पत्रकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज

पौड़ी के पयासू गांव के रहने वाले राजेश राजा कोली ने जागो उत्तराखंड के सम्पादक आशुतोष नेगी, दीप मैठाणी और एक अन्य पत्रकार के खिलाफ SC-ST एक्ट में मुकदमा कराया था। राजेश राजा कोली ने पौड़ी पुलिस को लिखित शिकायत दी थी। इसके बाद CO कोटद्वार को इस मामले की विवेचना सौंपी गई थी। दीप मैठाणी को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। कल मंगलवार को पौड़ी पुलिस ने श्रीनगर आरटीओ ऑफिस के बाहर से आशुतोष नेगी को गिरफ्तार किया। 

अलका लांबा ने उठाए सवाल

पत्रकार आशुतोष नेगी की गिरफ्तारी पर राजनीति भी शुरू हो गई है। कांग्रेस नेता अलका लांबा ने भी धरने पर बैठे आशुतोष की गिरफ्तारी का वीडियो ट्वीट करते हुए बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया है। लांबा ने कहा कि यह कितनी शर्म की बात है कि पुलिस अपराधियों को कठोर सजा दिलाने की बजाय, पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे लोगों का ही दमन करने पर उतारू है।

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